Book Title: Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Jinharshsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 42
________________ (३५) जेहमांहे घणारे,सांजलीयें बीए जेहनी ख्यात रे॥खबर करूं जो दे तुं धागन्या रे, कुमरी कहे तो जो मोरी मात रे॥ ५॥ दा० ॥ यावी कुमरी घर उतावली रे, दोगे उत्तमचरित्र कुमार रे॥ गुप्ताकति देखी नविन लख्यो रे, दोतो सुंदररूप आकार रे॥ ६ ॥ दा० ॥ क्षण एक वात करी दासी वली रे,यावी निजकुमरी नी पास रे॥ सोनल माहारी वात मदालसा रे, दीगे पुरुष जश् आवास रे ॥ ७ ॥ दा० ॥ रूपें तो तुज जरतार सारिखो रे,पण कांक याकतिमा फेर रे॥सां जली जाग्यो प्रेम मदालसा रे, वली मन लीधो पालो घेर रे ॥ ७ ॥ दा०॥ फट रे पापी मन झुं कियुं रे, किण उपर तें धारयो राग रे,प्राणसनेही इहां आवी रहे रे. ऐहदूं किहांथी ताहरूं नाग्य रे ॥ ए ॥ दा०॥ मिला उक्कड दीधो मदालसा रे,हवे कुमरें पूड़ी निज नारि रे॥ ए कोण वृक्षा इहां आवी दुतारे, कुमरी क हे सांनल जरतार रे ॥ १० ॥दा० ॥ वयण बोलावी बहेन मदालसा रे, परदेशिणी तेहनीले दासो रे॥ कुमर चिंते ते तो माहारी प्रिया रे,जाग्यो राग थयो उनासीरे ॥११॥ दा॥ रोमांचित काया मन उ Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76