Book Title: Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Jinharshsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(६३) पें मारे रे,तीखी तरवारें रे, जे हारे ते जायो नही, र जपूतणीरे ॥दाको दाक वाजे रे, गयवीर जेम गाजे रे, रखे लाजे सात,परियागत पापणी रे ॥४॥खल खंभे विहं रे, पग एक न मेरे, वली यावी मं रे, साहामा थरि हैये रे॥ देखीने कोपे रे, नया को धा टोपें रे, नवि लोपे रणवट, पग पाबा नवि दिये रे ॥ ५॥ जूजे एम शूरा रे, हथियारे पूरा रे, बलवं त सनूरा, घाव सादामा लीये रे। राणीना जाया रे,ह एवाने धाया रे, तेम धाया रे राया, जयहाथा दीये रे॥ ६ ॥ निशाणे घाय रे, वाजे शरणाय रे, सिंधूडे मचारे, वेढ बिहामणी रे ॥ तरवारें त्राने रे, नानं तापाने रे, तेम शूरा ले ते जूजे, साम्हे थणी रे॥ ॥७॥ उलटया वरसाला रे, वहे लोही खाला रे, म बराला मतवाला,हत मेल्हे नही रे ॥घायें घूमंता रे,के इधड जूऊंता रे,रुंम मुंफ हसंता,नयकारी सही रे ।। ॥ ॥ माटीनुं घाय रे, हथियारसबाह रे, मुज सा मो बाय रे, जो बलवंत ने स्वामी बपुकारे रे.तुं वै री संहारे रे, शूरोशिरदार रे, तुं सम कोण बजे रे॥ ॥ए॥ लखगाने लडाया रे, लखगाने लडिया रे, र डवडीया रे, तुंम घणां सुनटो तणारे॥कांकल देखेवा
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