Book Title: Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Jinharshsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 70
________________ (६७) चालीश सह रथ रूयडा, पायक चारे कोड ॥ ३॥ चालीश कोडि ग्रामाधिपति, शक्तिणो नहीं पा र ॥ चार राज्य सुख नोगवे, दिन दिन अधिक वि स्तार ॥ ४ ॥ जिन प्रासाद करावियां, कीधी तीरथ जात्र ॥ अकरा कर सदु मेलिया, पोष्या उत्तम पा त्र॥ ५ ॥ बिंब जराव्यां जिनतणां, पुस्तक नखां नं मारसाहमा वडल पण काया,परनपगारअपार॥६॥ ॥ ढाल अहावीशमी ॥ चूनडीनी ॥ अथवा ॥ प्राणी वाणी जिनती ॥ ए देशी॥ ॥ एम धर्म करंतां अन्यदा, थाव्या तिहां केवल धार रे ॥ वांदण काजें नृप चालियो, उलट धरि वि त अपार रे ॥ १ ॥ ए० ॥ पांचे अनिगम नृप सा चवी, वांदी बेता मुनि पास रे ॥ मुनिवर दे मीठो देशना, सांजलतां अंग उन्नास रे ॥२ ॥ ए० ॥ सं सारीजीव सुणोतुमो,जिन धर्म करो तुमें नायो रे॥सं सार सायरमां बूडतां, तरवानो एह उपायो रे ॥ ३॥ ॥ ए. ॥ संसार अनंत नमंतडा, मानवनव लायो एह रे ॥ दश दृष्टांतें करि दोहिलो, चिंतामणि स रिखो जेह रे ॥४॥ ए०॥ वली श्रुत सोनल दो हिवं, सुगतां उतरे मनकाट रे ॥ सांजलतां श्रत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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