Book Title: Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Jinharshsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 44
________________ ( ४१ ) ॥ नहिं किहांय रे ॥ ३ ॥ ए॥ करे विलाप त्रिलोचना, पियु पाखें न सुहावे रे || उबे जल जेम माबली, तडफि तड फि दुःख पावे रे ॥ ४॥ ए॥ राजा पण चिंता करे, सुद्धि किहां नवि थाये रे ॥ दुःख सद्दु कोइ करी रह्या, चिंतामां दिन जाये रे || ५|| ए | तेण पुरमांदे धनी रहे, महेश्वरदत्त मनाय रे ॥ बप्पन कोडि कनकनी, निधि व्याजें व्यवसाय रे ॥ ६ ॥ एय० ॥ वाहण ज लवट पांचों, शकट पांचों वदेतां रे ॥ गृह विपण प पांचों, पांचशे वखार समहिता रे ॥ ७ ॥ एए ॥ गोकु ल जेदने पांचरों, पांचों गज मदमाता रे || घोडा जा स विलायती, पांचों चंचल ताता रे ॥ ॥एण ० ॥ पांचरों सुंदर पालखी, पांच लाख नृत्य जेहने रे ॥ सुनट पांचरों नलगे, पुत्री नही पण तेहने रे ॥ ए ॥ एल० ॥ केटले एक दिने दीकरी, एक थइ गुणवंती रे शव नारिकला जणी, सुंदररूप सोहंती रे ॥ १० ॥ ॥ एय० ॥ सहस्रकला नामें जली, मनमां शेठ विचा रे ॥ ए संसार असारता, पापें करी जीव नारे रे ॥ ११ ॥ एए ॥ कन्या सारिखो वर मजे, तो तेह ने परणा रे ॥ घरनो नार देई करी, संपद तास न लावुं रे ॥ १२॥ ए० ॥ हुं दीक्षा जेनं जैननी, था ॥ चो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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