Book Title: Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Jinharshsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 33
________________ ( ३० ) चतुर नारी तुज सारिखी, अवर न दीवी कांय ॥ सु ख जोगव संसारनाहो, मुजशुं प्रीत बनाय ॥ ६ ॥ ॥ २० ॥ राणी धणीयाणी करूं, मारुं घर तुज हाथ ॥ जीवंतां विरतूं नही हो, मुज तुज अविचल साथ ॥ ७ ॥ २० ॥ तेतो परदेशी हतो, जाति वंश नहीं शुद्ध ॥ गुंफूरे बे तेढ़ने, तुंही कुलवंत मुद्ध ॥ ८ ॥ ॥ २० ॥ पानफूल विचें राखणुं, दुहविश नहीं कि वात ॥ चाकरनी परें चाकरी हो, करचं तुज दिन रात ॥णार ॥ ले लाहो जोबन तणो, सफलो कर अवतार ॥ तन धन जोबन प्रादुणो हो, जातां न ला गे वार ॥ १० ॥ २० ॥ तुजचं लागी प्रीतडी, तुज विष्ण रह्युं न जाय ॥ तुज मलवा मन जल्लसे हो, यव र न कोई सुहाय ॥ ११ ॥ २०॥ ते माटे तुजने कहुं, समऊ समऊ गुणवंत ॥ हठ बोडी हितगुं मलो हो, तुं कामिनी हुं कंत ॥ १२ ॥ २० ॥ तुजनुं मुजगुं प्री तडी, सरजी सरजणहार || नावि न मटे केहथी हो, जो करे लाख प्रकार ॥ १३ ॥ २० ॥ तुं को हुं को ए किदांथकी, यावी मनियो संच ॥ विधिनो ल । खियो दूतो हो, तुज मुज प्रेम प्रपंच ॥ १४ ॥ २० ॥ कोण करावे कोण करे, करता करेशुं होय ॥ ढाल थ‍ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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