Book Title: Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Jinharshsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 13
________________ (१०) ॥ ॥ तेह कर्म याव्या नदे रे लाल, पाम्या एह संताप ॥ १० ॥ २॥ कु० ॥ एहवू चिंतवी चित्त मां रे लाल, ध्वज बांधी एक हद ॥ न॥ वन फल खातो तिहां रेहे रे लाल, साहसवंत सुदद ॥३०॥ ॥३॥ कु०॥ दीप तणी अधिवासिनी रे लाल, देवीय दोगे ताम ॥ १०॥ कुमर रूप रज़ियामणुं रे लाल, जाणे अनिनव काम ॥ १० ॥ ४ ॥ कु० ॥ कामराग व्यापत घरेलाल, निपट कमरनी पास ॥ न० ॥ यावीने एणि परें कहे रे लाल, वारु वच न विलास ॥ ज०॥५॥ कु० ॥ सांजल हो नर सा हसी रे लाल, हुँ देवी एवंदीप ।। उ०॥ रूपें मो ही ताहरे रे लाल, यावी तुज समीप ॥ ३० ॥६॥ ॥ कु० ॥ ए तो पुण्ये पामियें रे लाल, सुरनारी संयो ग ॥ १० ॥ तुं प्रीतम ढुं पदामिणी रे लाल, मुजयं जोगव नोग ॥ १० ॥ ७॥ कु०॥ तुजने मलवा मा हरूं रे लाल, हियडु धरे नन्नास ॥ ॥ ल्यो लाहो जोबन तणो रेलाल, पूरो मुज मन आश ॥ २०॥ ॥॥ कु० ॥ रूप निहाली ताहरु रे लाल, गुण देखी सुविलास ॥ १० ॥ मन चंचल तुज वाले थयुं रेलाल, क्षण मेलहे नहीं पात ॥ ३० ॥ ए ॥ कु०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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