Book Title: Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Jinharshsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 14
________________ (११) मन याये में व्याकुखं रे लाल, ढील न खमणी जाय ॥ न० ॥ काया मेलो दे हवे रे लाल, घणे को गुं थाय ॥ १० ॥ १७ ॥ कु० ॥ कुमर कहे देवी सुयो रेलाल, म कहीश एहवी वात ॥न ॥ किहां देवी किन्हां मानवी रेलाल, सरिखी न मले धात ॥१०॥ ॥ ११ ॥ कु० ॥ परनारी मुज बहेनडी रे लान, पर नारी मुज मात ॥न॥ बंधव परनारोनो रे लाल, साची मानो वात ॥ 7 ॥ १२॥ कु०॥ परनारी जे जोगवे रे लाल, नलो न नाखे कोय ॥ १० ॥ एणे जव अपजश तेहy रेलाल, परनव उर्गति हो य।। न० ॥ १३ ॥ कु० ॥ ढुं बोरु बु तहरो रेला ल, तुं ने माहारी माय न॥ शरणे याव्यो ताहरे रे लाल, कर रदा सुपसाय ॥ न० ॥ १४ ॥ कु० ॥ रीशाणी देवी कहे रे लाल, कां रे मूढ गमार ॥3॥ माय बहेन मुजने कहे रे लाल,सगपण किशो विचार ॥३०॥ १५ ॥ कु० ॥ कयुं करीश नही माहरुं रे लाल,देश तुजने दुःख ॥१०॥जो जाणे ढुं जीवतो रे लाल, मुजफ्युं नोगव सुख ॥ ७० ॥ १६ ॥ कु० ॥ ढुं तूती तुजने दियुं रे लाल, अरथ गरथ नंमार ॥ ॥ ज०॥ रूठी तो हुं तुज नणी रे लाल, मारीश खड Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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