Book Title: Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Jinharshsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 18
________________ (34) ॥ ढाल बही ॥ इमर थांबा थांबली रे ॥ ए देशी ॥ ॥ कुमर कहे जल कां न त्यो रे, बेसी रह्या त मे केम ॥ चालो या उतावला रे, जनविण तूटे मे म ॥ १ ॥ कुमरजी | जल केम खाएयुं जाय, एतो रा इसनो नय थाय ॥ एतो वात विषम कहेवाय, ए तो फोगट मरण उपाय || २ || कुणी करुणा या णी लोकनी रे, उपगारी मतिमंत ॥ बाण बाण लेइ करी रे, बोजे एम बलवंत ॥ ३ ॥ कु० ॥ वाह थी हवे कतरो रे, मत बीदो मन मांहि ॥ हुं र क बुं तुम तो रे, राखुं राक्षस साहि ॥ ४ ॥ || कु० ॥ मुज घागल ए बापडो रे, एहनुं गुं बे जोर || सुर सुरपति पण माहरी, रे चांपी न शके को र ॥ ५ ॥ कु० ॥ रात्रिचरनी नाएशुं रे, सुपनाम पण नीति || यानपात्रथी उतस्यो रे, राजवियांनी रीति ॥ ६ ॥ कु० ॥ कुमर बाण खेंची करी रे, जो कूवा तीर ॥ लोक जाजन लइ खावियां रे, नरवा नि मेल नोर ॥ ७ ॥ कु० ॥ नाजन बांधी रांढवे रे, मू क्युं कूप मकार ॥ कूवाथी नवि निसरे रे, एक च पण वारि ॥ ८ ॥ कु०॥ जलनृतजल नवि नोसरे रे, इहां कारण वे कोय ॥ पण कोइ खबर करे नहीं रे, रा For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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