Book Title: Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Jinharshsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ (७) तुं मलियो गुणवंत ॥ ए लखियो ने ताहरे, वखतें राज्य महंत ॥४॥ जेहने जेहबु जोग्यता, तेहने तेह बुं होय ॥ कानें कुंमल रयणमय,नयणे काजल जोयए ___॥ ढाल त्रीजी॥नेम लालन मोरे मन वस्यो ॥ ए देशी ॥ ॥ कुमरकहे सुणतातजी, तुझे कयुं ते प्रमाणो रे ॥ पण मुज बागल जाय, करवा काम कल्यायो रे ॥ १ ॥ कु० ॥ काम करीने धावगुं, वलतुं कर्तुं क रेशुं रे ॥ जे देश्यो सुप्रसन्न थ, ते ततहण ढुंखेश्यु रे॥॥ कु० ॥ एम कही राय चरण नमी, की, कुमर प्रयालो रे ॥ पुहवी अचरिज जोवतो, जोतो विविध विनाणो रे ॥३॥ कु॥ नमतो नमतो थ नुक्रमें, नस्यब नयरें बायो रे ॥ पुरनी शोना जोव तो, हैडे हर्षित थायो रे ॥४॥कु०॥ श्रीमुनिसुव्रत देहरे, जइ प्रणम्या जिनराजो रे ।। नाव नक्ति स्तव ना करे,धन्य दिवस मुज बाजो रे ॥५॥॥ मूरति प्रतु मनमोहिनी, धार्त्ति जगत समावे रे ॥ जनमन यानंदकारिणी, दीठा स्वामी सुहावे रे ॥ ६ ॥कु०॥ वंडित दान कलपलता,नवःख सायर नावो रे ॥ मू रति अमृतस्पंदिनी, जागे समकित नावो रे ॥ ७ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76