Book Title: Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Jinharshsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ (२) युं, वस्त्रदान मुनिराय ॥ सुख पाम्या दाम्या थरि, दान तणे सुपसाय ॥ ७॥ सरस कथा संबधबे, सु एजो सदु नर नार ॥ बालस उंघ प्रमाद तजी, ध रजो चित्त मजार ॥ ए॥ ॥ ढाल पहेली॥ चोपानी देशी ॥ ॥णहीज जंबुदीप मजार, दक्षिण भरतक्षेत्र सुविचार ॥ नयरी अनुपम वाणारसी, त्रिजुवनमा नही अलका इसी ॥१॥ विशमो गढने विशमी पोल, जलके रविकोशीसा उल ॥ उंचा घर मंदिर कैलास, सप्तनूमिया जिहां आवास ॥२॥ जिन मंदिर शिव मं दिर जिहां, साधु साधवी विचरे तिहां ॥ वारु चा रे वर्ण त्यां बसे, धर्मकरण सदु को ननसे ॥३॥ लो क सुखी तिहां धनद समान, घर घर दीजें वंबित दो न॥ दीन दुःखीनी करे संनाल, जीव सदुना जे प्रति पाल ॥४॥न करे कोइ केहनी कांई तांत, जेहथी थाये कलि उत्पात ॥ न करे पर निंदा परोह, एह वा लोक वसे कृत सोह॥ ५ ॥ तिण नगरी मकरध्व जनप,यनिनव मकरध्वज अनुरूप ॥ न्यायवंत गुण वंत कृपाल, थरियणने लागे जेम काल ॥ ६ ॥ चमो लोकपाल पाल, देखी हरखे बालगोपाल ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 76