Book Title: Uttam Charitra Kumar Ras Author(s): Jinharshsuri Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 4
________________ ॥ अथ ॥ ॥ वस्त्रदानोपरि श्री उत्तमचारत्रं कुमाररासः प्रारभ्यते ॥ ॥ दोहा॥ ॥ चरम जिणेसर चित्त धरूं,करूं सदा गुणग्राम॥ नाव नाजे नवतणी, लीजंते जस नास ॥१॥ मन वच काया शुरू करी,जो कीजें जिन जाय ॥ उज्ज्व ल थाये आतमा, जाये उःख संताप ॥ ॥ जेहने नामें संपजे, वंडित सुख सुविशाल ॥ कष्ट निवारे करि कृपा, सेवक जन प्रतिपाल ॥३॥ समरूं सर स्वती सामिनी, सुमती तणी दातार ॥ वीणा पुस्तक धारिणी, कवियण जण आधार ॥ ४ ॥ हंसासरा हं सागमणी, त्रिनुवन रूप अनूप ॥ मोह्या इंद नारद सदु, नलहे को सरूप ॥ ५॥ जो माता सुप्रसन्न दुवे, आपे अनुपम झान ॥ झानथकी दर्शन दुवे, दर्शनमोद विमान ॥ ६ ॥ जिन मुख पंकज वा सिनी, समरी शारद माय ॥ कहूँ कथा उत्तम चरि त्र, साननजो चित्त लाय ॥ ७ ॥ नृपसुतें दीधुं नाव Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.orgPage Navigation
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