Book Title: Updesh Tarangini
Author(s): Ratnamandir Gani, Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek Samiti
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उपदेशतरंगिणी. गलवाथी नंगने प्राप्त भएली खेप्यमय प्रतिमाने जोवाथी खिन्न थएला रत्नसार श्रावके अंबिका दिवीन श्राराधन कर्युः त्यारे तेणीए श्री ब्रह्मे बनावेली वज्रमयमूर्ति तेने श्रापी, अने तणे ते मूर्तिने त्यां स्थापी; इत्यादि अनेक पूर्वे थर गएला प्रधानपुरुषोना प्रजावथी ते रैवताचल प्रसिद्धताने प्राप्त अयो, तथा सर्व दर्शनीउथी जगतमां पूजावा लाग्यो. कडं ने के,
सारं सिधगिरेर्यदेव विदितं यनेमिनः स्वामिनः, कंदर्पधिपदर्पमईनहरे/रावदातास्पदम् ॥ यन्निःसंख्यमहर्षिकेवलरमासंयोगसंकेतभ स्तीर्थश्रीगिरिनारनाम तदिदं दिष्ट्या नमस्कुर्महे १
अर्थ- जे श्रीगिरनार नामर्नु तीर्थ सिद्धगिरिनो सार , तथा कामदेवरूपी हाथीना दर्पने नाश करवामां सिंहसमान एवा श्री नेमिनाथ प्रजुना वीरपणानुं स्थानक , तथा जे संख्याविनाना महान शषिउनी केवलज्ञानरूपी स्त्रीना संयोगनी संकेतनी नूमिसरखं , एवा ते श्रीगिरनारजी नामना तीर्थने सारी रीते हुँ नमुं बुं. वली तेमज श्रीपाबुजीनुं तीर्थ पण जरतचक्रीए करावेला श्रीयुगादि प्रजुना प्रासाद तथा बिंबथी, तथा श्री नागेंजादिक आचार्योथी प्रतिष्ठित भएली श्री आदीश्वर प्रनुनी प्रतिमाना स्थापनथी, तथा श्रीविमलशा, वस्तुपाल आदिकोएं बनावेलां श्रीशषनदेव, तथा नेमिनाथ प्रज्जुना प्रासाद श्रादिक पुण्यकार्योनी परंपराथी पृथ्वीमांप्रसिधथएलुं ले. कर्तुं ने के,
नागेंचंतनिर्वृति-विद्याधरप्रमुखसकलसंघेन ॥ अर्बुदकृतप्रतिष्ठो, युगादिजिनपुंगवो जयति ॥१॥ तेवीज रीते नागहृदमां रहेळु नवखंमापार्श्वनाथनुं तीर्थ पण जाणवं. तेनुं वृत्तांत नीचे प्रमाणे के. .

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