________________
१५६ 10-12-10-0-00-00-00-00-00-00-00-00-04-*-00-00-00-00-12-10-0-19-10-19-10-26-09-10-0-00-12-24-10-20----------
श्री उपासकदशांग सूत्र
मेरक (सुरा, आसव तथा मधु से बनी शराब) मद्य, सीधु (ईख से बना शराब) और प्रसन्न नामक मदिराओं का आस्वादन, विस्वादन करती, मजा लेती छक कर सेवन करती और बार बार सेवन करती।
अमारि घोषणा और रेवती का पाप
तए णं रायगिहे णयरे अण्णया कयाइ अमाघाए घुट्टे यावि होत्था। तएणं सा रेवई गाहावइणी मंसलोलुया मंसेसु मुच्छिया ४ कोलघरिए पुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-'तुब्भे णं देवाणुप्पिया! मम कोलघरिएहितो वएहितो . कल्लाकल्लिं दुवे-दुवे गोणपोयए उद्दवेह, उद्दवेत्ता ममं उवणेह। तए णं ते कोलघरिया पुरिया रेवईए गाहावइणीए 'तह' त्ति एयमटुं विणएणं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता रेवईए गाहावइणीए कोलघरिएहितो वएहिंतो कल्लाकल्लिं दुवेदुवे गोणपोयए वहेंति, वहेत्ता रेवईए गाहावइणीए उवणेति। तए णं सा रेवई गाहावइणी तेहिं गोणमंसेहिं सोल्लेहि य सुरं च ६ आसाएमाणी ४ विहरइ।
कठिन शब्दार्थ - अमाघाए - अमारि-प्राणीवध नहीं करने की, घुट्टे - घोषणा, दुवे - दो, गोणपोयए - बछड़े, उद्दवेह - मार कर।
भावार्थ - एक बार राजगृह नगर में (महाराजा श्रेणिक ने) अमारि घोषणा की। फलतः पशु-वध बन्द हो जाने से रेवती को मांसाहार में बाधा खड़ी हो गई। तब पीहर से साथ आए नौकर से उसने कहा कि “तुम मेरे पीहर से प्राप्त गो व्रजों में से प्रतिदिन गाय के दो बछड़े मार कर लाया करो।" वह कर्मचारी प्रतिदिन दो बछड़ों को मार कर उनका मांस रेवती को देने लगा। रेवती मांस-मदिरा का प्रचुर सेवन करने लगी।
रेवती पति को मोहित करने गई
(६४)
तए णं तस्स महासयगस्स समणोवासगस्स बहूहिं सील जाव भावेमाणस्स
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org