Book Title: Tattvagyan Vivechika Part 02
Author(s): Kalpana Jain
Publisher: A B Jain Yuva Federation

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Page 170
________________ हो जाती है। वह इसप्रकार है श्रेणी-आरोहण-अवरोहण के समय मनुष्यायु के क्षय की स्थिति में इस गुणस्थान का जघन्य-काल एक समय है। इसका उत्कृष्ट-काल यथायोग्य एक अंतर्मुहूर्त है तथा आयु-क्षय की स्थिति में दो समय से लेकर यथायोग्य अंतर्मुहूर्त के एक समय पूर्व पर्यंत के सभी समय इसके मध्यमकाल-भेद हो सकते हैं। प्रश्न ५८ : इस सूक्ष्म-साम्पराय नामक दशवेंगुणस्थान का गुणस्थान की अपेक्षा गमनागमन स्पष्ट कीजिए। उत्तर : परिणामों आदि की विविध विचित्रता के कारण इसके गमनागमन में भी विविधता है। जो इसप्रकार है - गमन की अपेक्षा : श्रेणी-आरोहण की स्थिति में उपशम-श्रेणीवाले ग्यारहवें उपशांत-मोह और क्षपक-श्रेणीवाले बारहवेंक्षीण-मोह गुणस्थान में गमन करते हैं। उपशम-श्रेणीवाले मुनिराज अवरोहण के समय नवमें अनिवृत्तिकरण गुणस्थान में और आयु-क्षय की स्थिति में सीधे चौथे अविरत सम्यक्त्व गुणस्थान में गमन करते हैं। आगमन की अपेक्षा :श्रेणी-आरोहण की स्थिति में दोनों ही श्रेणीवाले नियम से अनिवृत्तिकरण नामक नवमें गुणस्थान से ही यहाँ आते हैं तथा अवरोहण की अपेक्षा मात्र उपशम-श्रेणीवाले ही अवरोहित हो ग्यारहवें उपशांत-मोह गुणस्थान से यहाँ आते हैं। इसे हम संदृष्टि द्वारा इसप्रकार समझ सकते हैं - दशवें सूक्ष्म-साम्पराय गुणस्थान का गमनागमन क्षपक श्रेणी की अपेक्षा उपशम श्रेणी की अपेक्षा बारहवें क्षीण मोह में ग्यारहवाँ उपशान्त मोह दशवाँ सूक्ष्म साम्पराय | दशवाँ सूक्ष्म साम्पराय । नवमें अपूर्वकरण से मरणोपरांत चौथा अ.स. अनिवृत्तिकरण प्रश्न ५९ : उपशांत-मोह नामक ग्यारहवें गुणस्थान का स्वरूप स्पष्ट कीजिए। - चतुर्दश गुणस्थान/१६५ - आगमन

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