Book Title: Tattvagyan Vivechika Part 02
Author(s): Kalpana Jain
Publisher: A B Jain Yuva Federation

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Page 200
________________ १२. मणि जड़ित सिंहासन तीन लोक के दिलों पर शासन करने . वाला। १३. रत्नों से प्रकाशित देव विमान सोलहवें स्वर्ग से आनेवाला। १४. धरणेंद्र का विशाल भवन अवधिज्ञान का धनी। १५. रत्नों की राशि रत्न-राशि-सा दैदीप्यमान या गुणों का स्वामी। १६. निधूम अग्नि अग्निशिखा-सा जाज्वल्यमान या | ध्यानाग्नि से कर्मों को जलाने वाला। प्रश्न ३: पंच कल्याणक महोत्सवों का सामान्य परिचय दीजिए। उत्तर : जिनागम में प्रत्येक तीर्थंकर के जीवन काल की पाँच प्रसिद्ध घटनाओं का उल्लेख मिलता है। ये घटनाएँ जगत के लिए अत्यन्त कल्याणमय और मंगलकारी होने से पंच कल्याणक कहलाती हैं। विदेह क्षेत्र में तीन या दो कल्याणकवाले तीर्थंकर भी होते हैं; परन्तु भरत और ऐरावत क्षेत्र में पाँचों कल्याणक वाले तीर्थंकर ही होते हैं। नवनिर्मित जिनबिम्ब की शुद्धि करने के लिए पंच कल्याणक प्रतिष्ठा पाठ में जो विधि की जाती है; वह सभी इन्हीं प्रधान पाँच कल्याणकों की कल्पना है। जम्बूद्वीप-पण्णत्ति में इन्हें इसप्रकार व्यक्त किया गया है - गाथा का सार : "जिनदेवगर्भावतारकाल, जन्मकाल, निष्क्रमण काल, केवलज्ञानोत्पत्तिकाल और निर्वाणकाल में पाँच महाकल्याणकों को प्राप्त होकर महा ऋद्धियुक्त सुरेंद्रों से पूजित होते हैं।" इन पंच कल्याणकों का संक्षिप्त परिचय इसप्रकार है - १. गर्भावतरण या गर्भ कल्याणक : तीर्थंकर भगवान होनेवाले जीव के गर्भ में आने के ६ माह पूर्व से लेकर जन्म पर्यंत अर्थात् लगभग १५ माह पर्यंत उनके जन्म स्थान पर, इंद्र की आज्ञा से कुबेर द्वारा प्रातः, मध्यांह, सायंकाल और मध्यरात्रि - इसप्रकार चार बार प्रतिदिन साढ़े तीन करोड़-साढ़े तीन करोड़ प्रमाण अर्थात् एक दिन में १४ करोड़ रत्नों की वर्षा होती है। जिससे सम्पूर्ण नगरी धन-धान्य से समृद्ध हो जाती है। तीर्थंकर भगवान महावीर/१९५ -

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