Book Title: Tattvagyan Vivechika Part 02
Author(s): Kalpana Jain
Publisher: A B Jain Yuva Federation

View full book text
Previous | Next

Page 197
________________ उत्सव किया। दीक्षा के बाद उनका सर्वप्रथम आहार कुलग्राम नामक नगर के राजा कूल (नन्दन/विश्वसेन) के यहाँ हुआ था। ___ बारह वर्ष पर्यंत अंतर्बाह्य घोर तपश्चरण के बाद जूंभिका ग्राम के निकट ऋजुकूला नदी के किनारे मनोहर नामक वन में शालवृक्ष के नीचे प्रतिमायोग धारण कर आत्मलीनता की स्थिति में बैसाख शुक्ला दशमी के अपरान्ह में मुनि वर्धमान को केवलज्ञान हो गया। वे अनन्त चतुष्टयसम्पन्न अरहंत भगवान हो गए; घाति-कर्मरूपी महा शत्रु को नष्ट कर महावीर तीर्थंकर बन गए। इंद्रादि ने आकर उनका केवलज्ञान कल्याणक महोत्सव मनाया। ___ इसप्रकार उनके वर्धमान, वीर, अतिवीर, सन्मति और महावीर - ये पाँच नाम प्रसिद्ध हो गए। तीर्थंकर नामक महा पुण्य प्रकृति का उदय आजाने से वे तीर्थंकर भगवान महावीर नाम से विश्रुत हुए। इंद्र की आज्ञा से कुबेर ने तत्त्वोपदेशहेतु बारह सभायुक्त समवसरण की रचना की। भगवान बनने के ६६ दिन बाद श्रावण कृष्ण प्रतिपदा के दिन उनकी देशना प्रारम्भ हुई। तब से ही यह दिन वीर शासन जयन्ती के रूप में याद किया जाने लगा। __ उनकी समवसरण सभा में इंद्रभूति गौतम आदि ११ गणधर थे। मात्र नारकिओं को छोड़कर शेष तीन गतिवाले जीव वहाँ बैठकर उनकी देशना को सुनते थे। उनकी दिव्यध्वनि में जीवादि सभी द्रव्यों की परिपूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा हुआ करती थी। उनका उपदेश था कि प्रत्येक आत्मा स्वतंत्र है, कोई किसी के अधीन नहीं है। पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करने का मार्ग स्वावलंबन है। रंग, राग और भेद से भिन्न निज शुद्धात्मा पर दृष्टि केन्द्रित करना ही स्वावलम्बन है। अपने बल पर ही स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है। अनन्त सुख और स्वतंत्रता भीख में प्राप्त होने वाली वस्तु नहीं है और न उसे दूसरों के बल पर ही प्राप्त किया जा सकता है। __इत्यादिप्रकार का उपदेश देते हुए लगातार तीस वर्ष पर्यंत उनका विहार सम्पूर्ण देश में होता रहा। अंत में ७२ वर्ष की आयु पूर्ण कर पावापुर से कार्तिक कृष्ण अमावस्या -तत्त्वज्ञान विवेचिका भाग २/१९२ .

Loading...

Page Navigation
1 ... 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238