Book Title: Swami Dayanand aur Jain Dharm
Author(s): Hansraj Shastri
Publisher: Hansraj Shastri

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Page 63
________________ ५५. पास कोई गधे, घोड़े, बकरी, भेड़ आदि पैदा करनेवाली मशीन है ? समझमें नहीं आता कि, स्वामीजी हमको क्या सूक्ष्म तत्व समझा रहे हैं ? अस्तु ! अब हम, सत्यार्थ प्रकाशके सृष्टि संबंधि सूक्ष्म तत्वको सुनते हैं, संभव है उसीसे हमको कुछ लाभ हो ! " प्र० सृष्टिके आदिमें एक वा अनेक पुरुष उत्पन्न हुए थे वा क्या ! उ० अनेक क्योंकि जिन जीवों के कर्म ऐश्वरी सृष्टिमें उत्पन्न होनेके थे उनका जन्म सृष्टिके आदिमे ईश्वर देता है क्योंकि "मनुष्या ऋपयश्च ये ! ततो मनुष्या अजायंत" यह यजुर्वेद में लिखा है इस प्रमाणसे यही निश्चय है कि आदिमें अनेक अर्थात् सैकड़ों सहस्रों मनुष्य उत्पन्न हुए । प्र० आदि सृष्टि मनुष्य आदिकी वाल्या युवा वा वृद्धावस्था में सृष्टि हुई थी अथवा तीनोमे ? उ० युवावस्थामे क्योंकि जो बालक उत्पन्न करता तो उनके पालन के लिए दूसरे मनुष्य आवश्यक होते और जो वृद्धावस्थामे बनाता तो मैथुनी सृष्टि न होती इसलिए युवावस्था मे सृष्टि की है " [पृ. २२३] [ समालोचक ] - हमारे पाठक उन पंक्तियों को ध्यानसे पढ़े जो कि मोटे टाइपमें हैं। यहां पर हमारी सृष्टिक्रमके सिद्धांतकी डगडगी पीटनेवाले नवीन आर्य महाशयों से प्रार्थना है कि, बिना ही मां बापके हजारों जवान आदमियोंका पैदा होना सृष्टि नियम के अनुकूल है वा प्रतिकूल ? यदि सृष्टि नियमके अनुकूल है तो, विना मां बापके कोई मनुष्य पैदा हुआ बतलाओ | यदि स्वामीजीके उक्त कथनको सृष्टिक्रमके विरुद्ध समझते हैं ! तब तो उनको, स्वामीजी से पूछना चाहिये * यह वाक्य यजुर्वेद कहीं नहीं ! स्वामीजीने वृथा ही यजुर्वेदका नाम लिया है !

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