Book Title: Suyagadanga Sutra Author(s): Sudharmaswami, Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 5
________________ पद्मकमल डंक रीक निं उचरिम्यु एलिजावेंवई निश्च पति कमल उद्दीन वाक्य जिमए पुरुष जालाई निमउद अंशुम रिस्तुं सुगडागजी तंम उमनर में डरी में उन्तिरिक सामो रोगय खलु एये जनमवर पडरीदों एवं नन्निवेस चे अहाणं एते दुरि सामने मह जावनुरादें मार्यनीगतिपराकमाई करिती थी कमलने रिम्सुं एहवो करीनई इमबोलीने ने | मंसिर से खेलते जान मेगास्संगतिय रकम अमेय उमनर में डरी से उन्निरिक स्मामिन्तिक हु इतिवचा से रुपच्याधेरो वाम ते करणी, जावदशदें मध्य ठी तलई गाधिपांणी गायिकादमेंउजाराघोपुरु पक्षेत्रज्ञ ३ तो तो वो है लिस खेदजल करणी नई नई ऊ सोरहा देषई देवई कमल रिमनिक में तंबुरकर पिंज्ञावान अभिक में तानाव राम देते उदए महंते से ए' का दिसते व उत्रे पुरि बघ यो दिपा मोडुं ज्योरा ६ रन मंसारस जाव व्गतिपराक एह वीरुष अनेरी किए हीए अथवा विदिशिय प्राचीनें प्रकुरिलीनें महामुद्रतीर नाथ दव समस्त मनोजोए करिशिकी लिसा अहनिरह जूही तार ही खेस में जानपरकम अन्तरीनं दिसानंदा अणुदिसावा प्रागम्मतपुरकेरा महापद्मवर कमलप्र जा• मनोद ने तिही बार चुरुपदी वाका... ती से पुरकरिणीतीरे विचापासति तय गंमदेप उमवेर मरीटो कानमदिरुवं तेन वारिषु रिसाएपासति । एक ती रवीनृष्ट बीजें करणीनें दिवाले जावदायें काममोहि निवारें तेतिमा इम बोल्या ती रेपो ना होए पुरुष विदज्ञ म कुशल प पहने तारे प्रमते डाव अंतरा पुरक रिपीए' कान से से सिविसन्ते ततेां से जिस्कए वे वयासी अदो मे बुरसा खे जावला मार्ग नीगति अ१राकमन जिम पुरुष जी लई तिम करणी थकी कमज६रियां खजुनिचे एकरी सन्ताावनी मास्संगतिपरक मणुं जन्नैएतेषु रिसा एवं मन्ते प्रटेप मरमरी जन्तिरिक स्सामा पोटास्क ककमल इणिविधिं उदास नजाई जिमपुरुष जाई तिमकुं पुरुष उष तीरनमत्ति वेदज्ञ जायन्त्रादें माय नीगति एप उमवर मरीयं एवं अन्तिरके टाऊदांएतेषु रिसामने अहमं सिंनिरकं जू है तीर ही खेमन्ते डाव मस्स ता लाषी 16 द्यानुष्टानरहित निर्दोषि आहारनो जी उठ नूPage Navigation
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