________________
७६] सुवोध जने पाठमाला--भाग २ जाऊँगा | ..... इतने हाथ से अधिक वायुयान आदि से आकाश मे ऊपर नही उडूंगा। २. ... · इतने हाथ से अधिक गहरे कुएँ, खान आदि मे नही जाऊंगा। पूर्व मे... "इतने कोस या मीटर से आगे, पश्चिम मे " ... इतने से आगे, उत्तर मे ..." इतने से आगे और दक्षिण मे · · · इतने से आगे नही जाऊँगा। भूमि की स्वत ऊँचाई-नीचाई का प्रागार ।
प्र० . क्षेत्रं-वृद्धि क्यो की जाती है ?
उ० : 'पूर्वादि दिशा की मर्यादित भूमि से आधी भूमि मे भी मुझे जाना नही पड़ता और पश्चिमादि भूमि मे मर्यादित भूमि से अधिक भूमि मे जाना मुझे धनादि की दृष्टि से लाभप्रद हैं' इत्यादि सोचकर ।
प्र० दिशावत से मर्यादित क्षेत्र के बाहर कौनसे पाँच प्राश्रव रुकते हैं ?
उ० जो पहले के पाँच अणुवेत धारण करके पश्चात् छठा व्रत धारण करता है, उसके १ हिंसा, २ झूठ, ३ चोरी, ४ मैथुन और ५ परिग्रह-ये पाँच आश्रव, जो सूक्ष्म रूप से शेप रहे हैं, वे रुकते है तथा जिसने पहले अणुव्रत धारण किये विना छठा 'अणुव्रत धारण किया है, उसे ये पाँचो पाधव स्थूल और सूक्ष्म व सर्व प्रकार से रुकेंते हैं।
दिशावत' निबन्ध
१. सूक्त : इस सम्पूर्ण लोक की एक भी प्रदेश (कोना) ऐसा शेप नहीं, जहाँ जीव पहुँचा न हो या रहा न हो। सर्वत्र जीव ने अनन्त काल व्यतीत किया है, पर कभी भ्रमण से तृप्ति