Book Title: Subodh Jain Pathmala Part 02
Author(s): Parasmuni
Publisher: Sthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur

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Page 294
________________ २६८ 1 - सुवोध जन पाठमाला-भाग २ ४. पारण (प्रारण) : प्रारण भूत जीव सत्व की दया के लिए आहार त्यागे। ५ तव (तप) : उपवासादिक तप करने के लिए आहार त्यागे। ६. सरीर वोच्छेय ' : सलेखना सथारा सहित समाधि मरण (शरीर व्यवच्छेद) के लिए आहार त्यागे। 'चौथी आदान निक्षेपणा समिति का स्वरूप . आदान-भाण्ड-मात्र निक्षेपणा समिति : विवेकपूर्वक वस्त्रपात्रादि को उठाना रखना अर्थात् किसी जीव की विराधना न हो, इसलिए विधि सहित प्रतिलेखना प्रमार्जना का उपयोग रखकर वस्त्र पात्रादि उठाना रखना। आदान-भाण्ड-मात्रनिक्षेपरणा समिति के चार भेद-१. द्रव्य २. क्षेत्र ३. काल ४. भाव। १. द्रव्य से-भाण्डादि उपकरण यतना से उठावे और यतना रक्खे। अर्थात् दिन मे पहले उपकरण देखकर और आवश्यकता हो, तो पूज कर फिर शीघ्रता रहित उठावे तथा भूमि को पहले देखकर और आवश्यकता हो, तो पूजकर फिर उपकरण को शीघ्रता रहित, शब्द न हो इस प्रकार भूमि पर रक्खे तथा रात्रि को उपकरण पूजकर उठावे और भूमि को पूजकर भूमि पर रक्खे । देखने की प्राज्ञा इसलिए है कि'बस स्थावर जीव दिख जाने पर उपकरण उठाते-रखते हुए उन जीवो की पूजकर रक्षा की जा सकती है तथा पूंजने की प्राज्ञा इसलिए है कि उन्हे पूजकर दूर करने से उनकी रक्षा हो जाती है। शीघ्रता न करने की आज्ञा इसलिए है कि १. शीघ्रता न करने से सहसा किसी नये जीव की नीचे आकर

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