Book Title: Subodh Jain Pathmala Part 02
Author(s): Parasmuni
Publisher: Sthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur

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Page 230
________________ __ २०६ ] मुबोध जन पाठमाला-भाग २ पाठ ३४ चौतोसवा पाँचवाँ आवश्यक विधि : चौथा आवश्यक पूरा होने पर पहला सामायिक दूसरा चतुर्विगतिस्तव, तीसरी बन्दना, चीथा प्रतिक्रमण-ये चार आवश्यक पूरे हुए, पाँचवे आवश्यक की पाना है।' यह कहकर पांचवे श्रावश्यक की याज्ञा ले । दो प्रतिक्रमण करने वाले चतुर्मासी और सवत्सरी के दिन पहले प्रतिक्रमण मे चार श्रावश्यक पूरे हो जाने पर पांचवां और छठा आवश्यक नही करते, सीधे ही दूसरा प्रतिक्रमण प्रारम्भ करते हैं। फिर निम्न कायोत्सर्ग प्रतिज्ञा का पाठ पढ़ें। फिर नमस्कार मंत्र, करेमि भंते, इच्छामि ठामि काउसग्गं पीर तस्स उत्तरी पढकर लोगस्स का कायोत्सर्ग करें। कायोत्सर्ग मे कुछ की मान्यता अनुसार देवसिक रात्रिक प्रतिक्रमण मे चार, पाक्षिक प्रतिक्रमगा में पाठ, चातुर्मासिक प्रतिक्रमण मे वारह तथा सावत्सरिक प्रतिक्रमण मे बीस लोगस्स का ध्यान करना चाहिए। और कुछ की मान्यतानुसार देवसिक रात्रिक प्रतिक्रमण में चार, पाक्षिक प्रतिक्रमण मे वारह, चातुर्मासिक प्रतिक्रमण मे वीस पीर सावत्सरिक प्रतिक्रमण मे चालीस लोगस्स पीर दो नमस्कार मत्र का ध्यान करना चाहिए। इस विषय मे वर्धमान श्रमण संघ के नियम के पालने वालों को ४, ८, १२, २० लोगस्स का ध्यान करना चाहिए।

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