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रणो ते वादी समवसरणो. क्रिया-जीव, अजीवादि पदार्थ छ, आवी रीते अस्तित्वरूप क्रियाने कहे छे ते क्रियावादीओ अर्थात आस्तिको. तेओर्नु जे समवसरण ते अभेद होवाथी ते क्रियावादीओ ज कहेवाय छे. जीव, अजीवादि पदार्थथी अस्तित्वरूप क्रियाना निषेधथी अक्रियावादीओ नास्तिको छे. स्वीकारद्वाराए अज्ञान के जेओने ते अज्ञानिको, ते ज वादीओ-अज्ञानिक वादीओ अर्थात् अज्ञान ज श्रेय छे एवी प्रतिज्ञावाला छे. विनय ज वैनयिक, तेज मोक्षने माटे छे एवी रीते कहेनारा ते वैनयिकवादीओ. आ चारेना भेदोनी संख्या आ प्रमाणे जाणवी. असियसयं किरियाणं, अकिरियवाईण होइ चुलसीई । अन्नाणिय सत्तट्ठी, वेणइयाणं च बत्तीसा। - क्रियावादीना १८० भेद, अक्रियावादीना ८४ भेद, अज्ञानिकवादीना ६७ भेद अने वैनयिकवादीना ३२ भेद छे.
तेमां एक सो ने एंशी भेद क्रियावादीना थाय छे, ते आ उपायवडे जाणवा-जीव, अजीव, आश्रव, संवर, बंध, निर्जरा, पुण्य, पाप अने मोक्ष-ए नव पदार्थोंने विरचीने-पद्धत्तिसर एक पाटी पर लखीने जीव पदार्थनी नीच स्व अने पर भेदो स्थापन करवा. तेनी नाँचे नित्य अने अनित्य भेदो स्थापना, तेनी पण नीचे काळ, ईश्वर, आत्म, नियति अने स्वभाव आ पांच भेदो स्थापवा. बाद आवी रीते विकल्पो करवा-'अस्ति जीवः स्वतो नित्यः कालत:'-कालथी नित्य अने स्वतः जीव छे.आ एक विकल्प. विकल्पनो अर्थ आ प्रमाणे-आ आत्मा निश्चये पोताना रूपवडे विद्यमान छे पण परनी अपेक्षाए नहिं-*इस्त्र अने
* जेम हस्वपणुं के दोघेपणुं स्वतः छे परंतु आपेक्षिक नथो.
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