Book Title: Sramana 1993 04
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 39
________________ वसन्तविलास महाकाव्य का काव्य-सौन्दर्य 1. रसाभिव्यक्ति वसन्त विलास महाकाव्य में विविध रसों का सफल सन्निवेश हुआ है। महाकाव्य की परम्परा के अनुसार श्रृंगार, वीर और शान्त रसों में से कोई एक रस महाकाव्य का अंगीरस होना चाहिए। प्रस्तुत महाकाव्य में प्रधान रूप से वीररस का परिपाक हुआ है। अंगरूप में विविध रसों को यथा वसर समुचित स्थान दिया गया है। वसन्तविलास महाकाव्य में वीर रस के सभी प्रकारों -- दानवीर, धर्मवीर, युद्धवीर तथा दयावीर की योजना की गयी है। सोमनाथ के पूजनोपरान्त वस्तुपाल की दानवीरता का निम्न प्रसंग दर्शनीय है -- श्रीसोमनाथाय सुवर्णरूप्यकूप्यस्वरूपाः सचिवेश्वरेण। तुलापुमांसो बहुशोऽतुलेनादीयन्त विस्मापितविश्वलोकाः ।। स दानपात्रेषु सदानवश्रीः श्रीदानविद्वेषिसमानवेषः। दानं निदानं सततोत्सवानां ददौ सदौचित्यविवेचनेन । यहाँ दान करने में वस्तु पाल का उत्साह स्थायी भाव है। सोमनाथ के सेवक ब्राह्मणादि आलम्बन विभाव हैं, सोमनाथ के प्रति असीम भक्ति और आस्था उद्दीपन विभाव है, स्वर्ण एवं रजतमुद्राओं से अपने को तौलनादि अनुभाव हैं तथा हर्ष, धैर्य, औत्सुक्य आदि संचारी भाव हैं। इन सबके संयोग से वस्तुपाल के हृदयगत दानविषयक उत्साह की परिणति दानवीर रस में हुई महाकाव्य के ग्यारहवें सर्ग में सोमेश्वर के पूजन के समय धर्मवीर की सुन्दर अभिव्यंजना सद्धर्मविद्धर्मशिलामुपेत्य दण्डप्रणामं विदधे प्रणामम्। गत्वा च गर्भालयमध्यमध्यालिलिङ्ग सोमेश्वरमष्टमूर्तितम् ।। अथो तमेव स्नापयन् हृदिस्थं प्रमोदजैलॊचनकुम्भतोयैः । पंचामृतैः पंचशरप्रपंचजितं जितारिः स्नापयाम्बभूव ।। कर्पूरकृष्णागुरुवन्दनादिविलेपनैर्विश्वगुरुं विलिप्य। विधं दशग्रीव शिरोधरास्त्रैरमात्य शम्भुः सुरभीचकार। उक्त वर्णन में वस्तुपाल का सोमेश्वर-पूजन के प्रति "उत्साह" स्थायीभाव है। शिव की मूर्ति आलम्बन विभाव, शिवालय उददीपन विभाव, दण्डवत प्रणाम, मूर्ति का आलिंगन, अश्रु जल से स्नान कराना आदि अनुभाव हैं, स्मृति एवं हर्ष संचारी भाव हैं। अतएव, यहाँ वस्तुपाल की धर्मवीरता की अभिव्यक्ति हो रही है। वस्तपाल और शंख की सेनाओं के मध्य होने वाले घमासान युद्ध का यह वर्णन युद्धवीर रस की पुष्टि कर रहा है -- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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