Book Title: Sramana 1993 04
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 57
________________ 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. सन्दर्भ सम्पादक, सी. डी. दलाल, प्रका. गा. ओ. सि. बड़ौदा, वर्ष 1917. शब्दार्थौ सहितौ काव्यम् । भामह, काव्यालंकार । कुन्तक, वक्रोक्तिजीवित, 1/17 श्रृंगार - वीर - शान्तानामेकोऽङ्गीरस इष्यते । सा. द. 6 / 317. स च वीरो दानवीरो धर्मवीरो युद्धवीरोदयावीरश्चेति चतुर्विधः । सा.द. वसन्तविलास, 11/70-71 वही, 11/63-65 वही, 5/75-77 वही, 10/37-38 वही, 7/13-14 वही, 8/57-59 अपरस्तु अभिलाष - विरहेर्ष्या- प्रवास - शाप हेतुक इति पंचविधः । का. प्र., चतुर्थ उल्लास । 13. वसन्तविलास, 14/17 14. वही, 14/30 15. वही, 5/32 16. वही, 5/43-44 17. वही, 5/54-55 18. वही, 5/90-91 19. वही, 5/108-9 20. वही, 9/1-4 21. वही, 7/8 22. वही, 11/46-48 23. वही, 14/40 24. वही, 14/ 44-46 25. नैषधचरित, 1 / 130-42 26. वसन्तविलास, 12/43 27. का. प्र., 4/35 28. वसन्तविलास, 1 /71-72 29. वही, 10/62-63 30. वही, 1/2 31. वही 1/1 Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org

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