Book Title: Sramana 1993 04
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 59
________________ वसन्तविलास महाकाव्य का काव्य-सौन्दर्य 67. वही, 1/35 68. वही, 7/28 69. वही, 10/37 70. वही, 11/41 71. वही, 4/22 72. वही, 1/20 73. वही, 3/47 74. वही, 4/9 75. वही, 14/24 76. वही, 14/10 77. तददोषौशब्दार्थीसगुणौ... । का.प्र., 1/4 78. यदि भवति वचश्च्युतं गुणेभ्यः वपुरिव यौवनवन्ध्यमङ्गनायाः। अपि जनयितानि दुर्भगत्वं नियतमलंकरणानि संश्रयन्ते।। काव्यालंकार सूत्र 3/1/2 वृत्ति । 79. माधुर्योजः प्रसादाख्यात्रयस्ते न पुनर्दश । का.प्र. 8/68 80. का.प्र., 8/87 81. वसन्तविलास, 1/31 82. ना.शा. 17/101 83. काव्यादर्श, 1/51 84. का.प्र., 8/68-69 85. वसन्तविलास, 7/58 86. वही, 14/32 87. वही, 1/2 88. काव्यालंकारसूत्र, 3 - 15 89. का.प्र., 8/69-70 90. वसन्तविलास, 5/77 91. वही, 5/89 92. वही, 5/45 93. का.प्र., 8/70 94. क्सन्तविलास, 1/18 95. वही, 8/36 96. वही, 9/31 97. उत्कर्षहेतवः प्रोक्ताः गुणालंकाररीतयः । सा.द., 1/31 98. रीतिरात्मा काव्यस्य । काव्यालंकारसूत्र, 1/2/6 99. विशिष्टापदरचनारीतिः । वही, 1/217 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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