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जमाली भी महान् मुनि थे, मगर बाद में उसीने संघ मेद करके अपना नया संप्रदाय चलाया था, इस प्रकार वह भी ऐतिहासिक व्यक्ति है, जिसका इन्कार हो सकता नहीं है। जमाली निह्नव था, वैसे ९ नव निह्नव हुए है । मगर दिगम्बरशास्त्र अर्वाचीन हैं इस कारणसे उसका हाल बता सकते नहीं है । यातो श्वेताम्बरों के हिसाब से दिगम्बर भी निह्नव है, अतः दिगम्बर विद्वानोने निह्नवो के इतिहास को ही उड़ा दिया और भगवान् महावीर स्वामी के विवाह प्रसंग को भी हटा दिया है। कुछ भी हो किन्तु जमालीका प्रसंग कल्पित नहीं है, और भगवान् महावीर स्वामी के विवाह की घटना भी कल्पित नहीं है।
दिगम्बर-श्वेताम्बर मानते हैं कि भगवान महावीरस्वामीने अपना आधा देवदृष्य एक विप्र को दान कर दिया और बाद में उनका शेष रहा हुआ आधा वस्त्र भी गीर गया। जब वह गीरा तव भगवानने उसकी और गौर किया था वगेरह २। मगर यहां भगवान का वस्त्र और देखना असंभवित है।
जैन-भगवान् ने उस वस्त्र को देखा था। उस के कारण ये बताये जाते हैं।
(१) अपनी शिष्य सन्तति में मूर्छा कीतनी होगी, उस को जाणना।
(२) भावि संघ में कंटक बहुलता केसी होगी, उस को जाणना। (३) छद्मस्थावस्था, (४) क्षपकश्रेणी में भी संज्वलन लोभ का संभव।
इन कारणो से वस्त्र को देखना संभवित है। फिर भी यह भूलना नहीं चाहिये कि-लोकोत्तर पुरुष का चरित्र लोकोत्तर ही होता है।
दिगम्बर---श्वेताम्बर मानते हैं कि-केवली भगवान् महावीर स्वामीने छींक खाया था।
जैन-जंभाई और छींक ये नीरोगता के लक्षण माने जाते हैं । ये युगलिक को भी होते हैं।
तीर्थकर भगवान् का शरीर औदारिक है तो उनको छींक
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