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रेवती श्राविकाने कूष्मांड पाक भगवान् महावीर स्वामी के निमित्त बना रक्खा था, किन्तु आधाकर्मीक-दोषयुक्त होने के कारण ही भगवान् ने उसे लाने की मना कर दी।
जहां, निमित्त दोषवाला, आहार लेने का भी निषेध किया गया है; वहां मांसाहार लेनेका मानना, यह तो दुःसाहस ही है। (६) "अन्ने" शब्द पर विचार
"अन्ने" यह शब्द “कुक्कुड़-मंसए" का सर्वनाम है, उसका अर्थ होता है-दुसरे ।
यह शब्द पुल्लिग में हैं, एवं "कपोयसरीरा" और "कुक्कुड़मंसए" ये दोनों शब्द भी पुल्लिंग में है । पुल्लिंग होने के कारण वे वनस्पति विशेष ही है ऐसी गवाही 'अन्ने' शब्द देता है।
(७) "पारियासिए" शब्द पर विचार. "पारियासिये" यह बीजोरा पाकका विशेषण हैं, उसका अर्थ होता है, अधिक पुराणा। - मांस असांचयिक विगई है. वासी (पुराणा) मांस तो रोग
को अधिक बढाता है. और एकदिन की वासी चीज के लीये 'पर्यासिए' नहीं, किन्तु 'पज्जुसिए' शब्द का प्रयोग किया जाता है, इस हालत में यदि, यहां किसी भी प्रकारका मांस होता तो यथानुकूल “पज्जुसिए" शब्द प्रयोग होता, किन्तु यहां वह शब्द प्रयोग न होने के कारण “परियासिए" से सूचित वस्तु मांस नहीं है, यह निर्विवाद बात है ॥
यहां अत्थि शब्द दिया है मगर साथ में 'उवक्खडिए या भजिए' शब्द नहीं है, अत: वह वस्तु मांस नहीं है, किन्तु बहूत काल रहेनेपाली कोई वस्तु है । माने-कीसी भी प्रकार का "पाक" है।
बृहत्कल्पसूत्र उ• ५ बगैरह स्थानो में अधिक काल तक रहनैवाले घो तेल वगैरह के सम्बन्ध में "पारियासिए" प्रयोग किया गया है । इस हिसाब से यहां भी पुराणा "बीजौरा पाक" के लीये "पारियासिए" प्रयोग है वह युक्तियुक्त है। (८) "मजार" शब्द पर विचार"मजार" यह एक कीस्मकी द्रव्य को वासना भावना याने
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