Book Title: Shvetambar Digamber Part 01 02
Author(s): Darshanvijay
Publisher: Mafatlal Manekchand Shah

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Page 281
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिनागम में यह भी खुलासा कर दिया है कि-गर्म को देवानंदा के योनिमार्ग से लिया था और कुछ चिरफाड़ करके सीधा त्रिशला के उदर में रक्खा था। बात भी ठीक है कन्या गर्भ की मोजुदगी में भगवान के गर्भ को सीधा उदरमें रखना ही उचित मार्ग था। इन सब घटनाओं को मद्दे नजर रखकर शोचने से 'गर्भपरावर्तन' विषयक सब विचारणिय वाते हल हो जाती हैं। दिगम्बर-इस हालत में त्रिशला रानी' सती मानी जायँ ? जैन-उसके सतीत्वमें कीसी भी प्रकार की बाधा आती नही है। कारण ? ८३ वे दिन गर्भपरावर्तन हुआ उस समय वह गर्म न वीर्य स्वरूप था न शुक्र स्वरूप था और न प्रवाही द्रव्य था, किन्तु छ पर्याप्तिपूर्ण पांचो इन्द्रियवाला पींड रूप था, और इसमें न पर पुरुषका सेवन हुआ है, न पर वीर्य ग्रहण हुआ है न योनिमार्ग से गर्भ आया है और न स्वेच्छापूर्वक कार्य हुआ है। रीठमा छ महिना, गायमा नवमहिना अने दश दीवस, घोडामां अगीआर महिना अने हाथीमां बावीस महिनाको गर्भ विकास काळ होय छे. मनुष्य गर्भनो विकास काळ नव महीना भने दस दीवसनो होय छे. (गुजरात वर्नाक्युलर सोसाइटी अमदावाद प्रकाशित स्व. लालभाइ गुलाबदास शरोफ स्मारकविज्ञान अने इन्डस्टीझ ग्रंथमाळा अं. १, 'जीव विज्ञान' प्र० ४३ गर्भ पोषण प्रकार अने गर्भविकास काल पृ. २४९ जे जातीनो गर्भ होय ते जातीना अंगोनो पूर्ण विकास गर्भमा पोषणथी भक काळमां थाय छे. ( जुओ गर्भपोषण अने गर्भ विकास काळ ) आ काळने गर्भ विकास काळ कहेवामां आवे छे. भा प्रमाणे मनुष्य गर्भनो संपूर्ण विकास २८. दीवसमां थाय छे. मनुष्य गर्भना अंगोनी प्राथमिक रचना तो अणज महिनामा थइ जाय छे परन्तु तेमनी संपुर्ण खिलवट करवा तेमने बराबर मजअत करवा अने तेमनो पूर्ण विकास साधी मनुष्य शरीरना पूर्ण रंग रूप अने लक्षणो आपवा बीजा छ महीना जोइए छे. पहेला त्रण महिनामा गर्भने काचो गर्भ एम्बीओ Embeyo कहेवामा भावे छे अने पछीन। छ महीनामां तेने पक्व गर्भ एटले फीटस Foetus तरीके ओळ्खवामां आवे छे. (जीवविज्ञान पृ० ४४ गर्भ विज्ञान प्र. २८७-२८८) 2 . For Private And Personal Use Only

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