Book Title: Shrutsagar Ank 2014 03 037
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फरवरी - २०१४ केटलाय विशिष्ट तीर्थो काळना प्रवाहमां गरक थता जाय छे, त्यारे आवा तीर्थोनुं महत्त्व वधारेने वधारे प्रसार पामे ए जरूरी छे. ए शिवाय तीर्थपरिचय अंतर्गत स्तंभन पार्श्वनाथ भगवाननुं तीर्थ स्तंभनतीर्थ खंभातनो पण परिवय आपवामां आव्यो छे. तीर्थ परिचयनी साथे साथे तीर्थोत्पत्तिनी कथाथी तीर्थ महत्ताने जाणी शकाय छे. श्रुतरसिको माटे एक आनंदना समाचार रूप कही शकाय एबुं ज्ञानमंदिरमां जोडावा माटेना आमंत्रण स्वरूपे एक पत्र प्रकाशित करवामां आव्यो छे. प्रभुना शासनने वधुने वधु दीप्तिमंत करी शकाय एवो कोई सरळतम मार्गोमांथी एक मार्ग छे श्रुतनो, ज्ञाननो. छेल्लां केटलांय वर्षांथी विशिष्टप्रकारना श्रुतकार्यो ज्ञानमंदिरमां चाली रह्या छे. अने ए कार्योमा जोडावा माटे ज्ञानमंदिरनो संपर्क करवो. | सुवाक्य * पगमा दोरी गूंचवाई होय त्यारे कूदाकूद करवाने बदले शांतिथी ऊभा रहेवू जोईए. जीवनमां पण समस्याओ ऊभी थाय त्यारे शांति समता अने श्रद्धाना आसन पर बेसतां आवडे तो ज जल्दी उकेल आवे. * धीरज एटले राह जोवानी क्षमता नहीं, पण राह जोती वखते स्वभावने काबूमां राखवानी क्षमता. * बीजानी भुल काढवा माटे भेजूं जोईए अने आपणी भुल स्वीकारवा माटे कलेजुं जोईए. For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36