Book Title: Shrutsagar Ank 2014 03 037
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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श्रुतसेवानो सोनेरी अवसर जीवन निर्माण अने जीवन निर्वाह श्रुतसेवाना आलंबने ० शुं तमारे श्रुतसेवाना अने श्रुतरक्षाना यज्ञमां जोडावं छे.? ० जीवनना निर्वाहनी साथे साथे जिनशासननी बेजोड सेवामां तमारे तमारी
भागीदारी नोंधाववी छे.? ० शुं तमारे श्रुतसाहित्यनी व्यापकदृष्टिए अने विशिष्टफळदायी एवा श्रुतना कार्यो ___ करवा छे? ० आवता एकहजार वर्ष सुधी तमारा करेला कार्योनी गणना थाय एवा कार्यों
तमारे आजे करवा छे? __ कलिकालना विषमकाळमां भव्यजीवो माटे आलंबन गणी शकाय एवा तत्त्वो छे जिनबिंब अने जिनागम. अज्ञाननो अंधकार उलेचवो होय तो ज्ञान खूब ज आवश्यक अने जरूरी छे. एटले आवता बस्सो के पांचसो वर्षो सुधी जिनशासननी सारामां सारी रीते सेवा आजे आपणे करी शकता होईए तो ए माध्यम श्रुतनुं छे, ज्ञाननुं छे, जिनागमनुं छे. ए सिवाय कोई एवो प्रबळ आधार नथी के जिनशासननी महती सेवा करी शकाय.
___ आजे जैन प्राच्यविद्याना क्षेत्रोने फरीथी धमधमता करवानी जरूर छे. अने ए माटे अमारे तमारी आ सेवाकार्यमां जरूर छे. आ ज निष्ठा अने विचारना बळे राष्ट्रसंत प. पू. आचार्य भगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. अथाग प्रयत्न करीने पू. आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी म. सा. ना विचार अने स्वप्नने श्री महावीर जैन आराधना केंद्रनी भूमि उपर साकार कर्यु छे.
भारतभरमां विहारचर्या दरम्यान श्री संघमां अने अन्य ठेकाणे उपेक्षित अने असुरक्षित आपणी श्रुतधरोहर अने संस्कृतिना वैभवने पूज्य गुरुभगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरमा संकलित अने सुरक्षित कर्यो छे. पूज्य गुरुभगवंतश्रीना आशीर्वादथी आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरमा २,00,000 जेटली हस्तप्रतो अने १,७५,००० जेटला मुद्रित पुस्तकोनो सुंदर रीते संग्रह करवामां आव्यो छे. आ संग्रहने साचववा माटे अने एने वधुने वधु श्रीसंघोपयोगी बनाववा माटे, जैन हितना अने जन हितना श्रेयार्थे अहीं विविध प्रकारना श्रुत संबंधी कार्यो करवामां आवी रह्या छे. एवं आ ज्ञानमंदिर श्रुतसेवानुं अतिपरिचित अने ख्यात क्षेत्र छे. अहींनी दरेक व्यवस्था अने निर्माणना श्री संघे पेट भरीने गुण गाया छे. आवा विशिष्ट कार्यामां आपश्रीनी आवडत, आपश्रीनुं
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