Book Title: Shrutsagar Ank 2014 03 037
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३१ श्रुतसागर - ३७ कार्य अंगेनी तमारी पोतानी सक्षमता : 0 जैन पारिभाषिक अने जैन तत्त्वज्ञाननी आवश्यक जाणकारी ० संस्कृत, प्राकृत, गुजराती, हिन्दी अने अंग्रजी भाषानी विशिष्ट जाणकारी ० जैनधर्मनी साथे जैनेतर दर्शन अने जैनेतर साहित्यनी पण जाणकारी ० प्राचीन लिपि अने हस्तप्रत संबंधी प्राथमिक के एथी वधु कक्षानी जाणकारी ० कॉम्प्युटर संचालननी जाणकारी [ संपर्क श्री महावीर जैन आराधना केंद्र आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा - ३८२००७ (जि. गांधीनगर) ०७९ - २३२७६२५२, २३२७६२४९ Email : gyanmandir@kobatirth.in Website : www.kobatirth.org (अनुसंधान पृष्ठ ७उपरनु) * आजे आपणी कमनसीबी छे के लोको असत्यमां जेटलो विश्वास राखे छे तेटलो सत्यमां राखता नथी. हकीकतमां संसार निरपेक्ष छे. अपेक्षाओ तो आपणे संसार पासेथी राखीए छीए अने ते फळती नथी त्यारे मिथ्या दुःखी थइए छीए. जेम के गुमावेलुं धन के आसक्ति राखेली इमारत, आपणा मृत्यु पाछळ एक पण दुःखनुं आंसु सारवानां नथी. * सत्य पर प्रतिष्ठित बनेल जीवन स्वयं दयाळु बनी जशे. सत्य अने प्रेम अलग नथी, बंने एक ज सिक्कानी बे बाजु छे. एकने घसवाथी बीजानी किंमत शून्यवत् छे. बंने साथै हशे तो तेनुं मूल्य अधिक थशे. सत्य हशे ने प्रेम नहीं होय तो जीवन भाररूप बनी जशे. * सत्यने कोई सांप्रदायिकता नडती नथी. हिंदु, मुस्लिम, बौद्ध, पारसी, क्रिश्चियन सर्व धर्मोमां सत्यने प्रथम अने अनन्य स्थान आपेल छे. सत्य सर्वमान्य छे. सत्य ए ज भगवान छे. बाईबलमां गहुं के सत्य परमशक्ति छे, सत्य परमात्मा छे. * स्वानुभव द्वारा सत्य लाधे छे अने एटले ज सत्य कोई एक स्वरूपे नहीं परंतु भिन्न स्वरूप प्रगटे छे. * मानवीना मनमांथी ज्यां सुधी वासना नीकळे नहीं त्यां सुधी सत्य तेनामां स्थिर थतुं नथी. For Private and Personal Use Only

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