Book Title: Shrutsagar Ank 2014 03 037
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री खंभात तीर्थ : एक परिचय कनुभाई एल. शाह खंभातमां अनेक जिनालयो आवेलां छे. खंभात आजे पण जैन प्रवृत्तिओनुं महत्त्व, स्थान धरावे छे. खंभातना खारवाडामां श्री स्तंभन पार्श्वनाथ प्रभुनूं मुख्य जिनालय छे. अदभुत कलाकारीगीरीवाळा परिकरमां श्री स्तंभन पार्श्वनाथ प्रभुनी प्रतिमा बिराजित छे अने आ प्रतिमा देरासरने प्रतिभा बक्षे छे. श्यामवर्णनी, पद्मासनस्थ, पांचफणाथी अलकुंत आ प्रतिमा दिव्यता अर्पे छे. आ प्रतिमाजीनी ऊंचाई ८' ईंच अने पहोळाई ६ ईंचनी छे स्तंभन प्रभु पार्श्वनाथनी प्रतिमा प्राचीन अने चमत्कारी छे. श्री स्तंभ पार्श्वनाथ प्रभुनो ईतिहास भव्यता अने चमत्कारोथी भरेलो छे. गई चोवीसीना श्री नेमिनाथ प्रभुना शासनमां अषाढी नामना श्रावके अनागत चोवीसीना त्रेवीसमा तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ प्रभुनी नीलम रत्ननी एक मनोहर मूर्ति प्रतिष्ठित करी अने वर्षो सुधी तेनी सेवापूजा करी. त्यारबाद वरूणदेवे आ प्रतिमाजीनी पूजा करी. समयांतरे आ प्रतिमाजी नागराजनी पासे आवी अने पाताळलोकमां लई जईने अन्य देवोनी साथे पूजन-अर्चन करवा लाग्यो. वर्तमान चोवीसीना वीशमां तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रतस्वामिना शासनमां रामचंद्रजी रावण पासेथी सीताजीने पाछा मेळववा विशाळ सेना साथे समुद्र किनारे पडाव नाखीने रह्या हता. श्री रामचंद्रजीने समुद्र ओळंगवानी चिंता हती ते समये रामलक्षमणे नजीकना विस्तारमा एक भव्य जिनालय जोयुं. जिनालयमां श्री पार्श्वनाथ प्रभुनी अलौकिक प्रतिमा जोइने राम-लक्ष्मण आनंद पाम्या. बंन्नेए सेवा-पूजा अने प्रभुनी भक्ति करी. त्यां नागराज प्रत्यक्ष थया. नागराजे प्रभावकारी प्रतिमाजीनो भव्य इतिहास कह्यो. राम-लक्ष्मण बनेए पुनः श्री पार्श्वनाथप्रभुनी अनेरा भावथी वंदना करी जिनालयमांथी बहार नीकळ्या त्यां ज तेमने समाचार मळ्या के समुद्र स्थंभित थइ गयो छे. परमात्मानो आवो प्रभाव जोइने राम-लक्ष्मणने खूब हर्ष थयो. ए वखते रामचंद्रजीए आ परमात्माने 'श्री स्थंभन पार्श्वनाथ' नामाभिधान आप्यु. समयना वहेणनी साथे नवमा वासुदेव श्री कृष्ण महाराजा समुद्र किनारे छावणी नाखीने केटलाक दिवसथी रह्या हता. त्यां तेमणे जिनालयमां नीलमरत्ननी एक जिनप्रतिमाजी जोइ. ए समये नागकुमारो प्रभु समक्ष भक्ति नृत्य करता हता. नागकुमारोए श्रीकृष्णने जोया अने तेमणे श्रीकृष्णने प्रतिमाजीनो भव्य इतिहास कही संभळाव्यो. श्रीकृष्ण भगवाननी आग्रहभरी विनंतीथी आ प्रतिमा द्वारका लइ For Private and Personal Use Only

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