Book Title: Shrutsagar Ank 2014 03 037
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४ फरवरी - २०१४ नगरी दटाइ गइ होवी जोईए. आ संबंधमां श्रीयुत लालजी मूलजी जोशी पोताना 'कच्छनी लोककथाओ' नामना पुस्तकमां एक स्थळे भद्रावती उपर नोट लखतां लखे छे के : 'विक्रम संवत् ८ थी १० सुधी ते 'पढीयार' नामनी एक शूरवीर राजपुत कोमना हाथमां हतुं. ते पछी वाघेलाओना हाथमां आव्युं, ते पछी समा जाम जाडेजाओना हाथमां गयुं. ए रीते आपणे जोशं तो विक्रम राज्यनी तेरमी शताब्दिनी छेल्ली पचीशीमां भद्रेश्वर जाडेजा रजपुतोना हाथमां आव्युं हतुं. परन्तु पढीयार रजपुतोनी हकुमत जतां, शहेरनी उन्नति, समृद्धि पण हटवा लाग्या. धरतीकंपथी थयेला फेरफारो अने उपराउपरी पडेल दुष्कालोना कारणे, तथा राज्यना परिवर्तनना लीधे आ समृद्धिशाली शहेर दिनप्रतिदिन पतन तरफ घसडावा लाग्यु.' पृ. ५४-५५. पण, खरी रीते चौदमी शताब्दी सुधी तो आ नगरी पुर जाहोजलालीमा हती. बेशक विद्वान् लेखक कहे छे तेम, धरतीकंपो अने दुष्काल उपर दुष्काल पडवाना कारणे अने हमेशां बनतुं आव्युं छे तेम, चडती पडतीना नियमे चौदमी शताब्दीथी आ नगरीनुं पतन शरू थयु ए वात तो खरी छे. जो के, आवी इतिहास प्रसिद्ध भद्रावती नगरी अत्यारे खंडेरो-तुट्या-फुट्या अवशेषोना आकारमा ज देखाय, परंतु आ जुनी भद्रावतीना खंडेरोनी नजीक ज एक 'भद्रेश्वर' नामनुं गाम छे. कच्छना मुद्रा तालुका- आ गाम गणाय छे. आ गाममां त्रणथी साडात्रण हजार माणसनी वस्ती छे. ठकुरातनुं आ गाम छे. आ गाम नवं वसावेल छे. आ गामनी उत्पत्तिना संबंधमां रावसाहेब मगनलालभाई खख्खरनो मत छ के - 'जाम रावलनुं थाणुं जूना भद्रेश्वरमां हतुं. तेने गुंदीयालीवाला रायघणजीना भाई मेरामणजीए ए थाणुं उठाडीने सर कर्यु. तेना दीकरा डुंगरजीए तेने तोडीने नवू भद्रेश्वर बंधाव्यु. ए वातने आजे चारसो वर्ष थयां छे.' आ भद्रेश्वरथी पूर्वमां लगभग अडधा माइल दूर अनेक शिखरोथी सुशोभित जैनमंदिर अनेक धर्मशालाओ वगेरे एक मोठं धाम छे. आने 'वसही' कहेवामां आवे छे. आ मंदिर ते ज छे, के जेनो उल्लेख उपर करवामां आव्यो छे. अने जे भगवान महावीर स्वामीना निर्वाण पछी २३ वर्षे एटले आजथी लगभग २४४४ वर्ष उपर आ ज भद्रावतीना देवचंद्र नामना गृहस्थे बंधाव्युं हतुं. प्रारंभमां, आ मंदिरमां पार्श्वनाथनी मूर्ति स्थापन करवामां आवी हती. ते पछीनो इतिहास कांइ जाणवामां आव्यो नथी. पण कुमारपाल राजाए, अने संवत् १३१५ मां जगडुशाहे आ मंदिरनो जीर्णोद्धार कराव्यानी वात पहेलां कहेवामां आवी छे. कहेवाय छे के ज्यारे भद्रावती भांगी For Private and Personal Use Only

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