Book Title: Shrutsagar Ank 2014 03 037
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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फरवरी - २०१४ कृतिनी छेल्ली कडीना प्रथम चरणमां आचार्य श्री धर्ममूर्तिसूरि महाराजनी कृपाथी आ कृतिनी रचना करी होवानो उल्लेख स्वयं कविए कर्यो छे. त्यारबाद ए ज कडीना त्रीजा चरणमां कविए पोताना नामनो निर्देश कर्यो छे. ज्ञानमंदिरमां सोममूर्ति वाचकना समयमां लखायेली बे हस्तप्रतो प्राप्त थाय छे. जेमां बन्ने हस्तप्रतमां सोममूर्ति वाचकना शिष्य तरीके रत्नमूर्तिवाचकनो उल्लेख थयेलो छे. आम सोममूर्तिना शिष्य रत्नमूर्ति होवानुं जाणी शकाय छे. ए सिवाय सोममूर्ति वाचक अंगे विशेष माहिती जोवामां आवी नथी.
प्रत परिचय :- आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरमां प्रत क्रमांक ४७५८९ना आधारे आ कृतिनुं संपादन थयुं छे. आ प्रतमां कुल बे पत्र छे. प्रतनी लंबाइ से. मी. २५४१२ छे. दरेक पत्रमा ९ पंक्तिओ छे. तेमां आशरे १० थी ११ अक्षरो सुचारू रूपे आलेखायां छे. प्रतलेखन संवतनो उल्लेख नथी, पण लेखनना आधारे आ प्रत १९मी सदीमां लखाई होवानी संभावना छे.
।। श्री उत्तराध्ययनसूत्र सज्झाय ।।
|| वीर जिणंद नमेवि, श्रीसिद्धारथकुलतिलु ए । कनकवरण शरीर, त्रिसलानंदनगुणनिलु ए ।।१।। हस्तपालनंइ राजि, चरम चउमासुं तिहां रहीआ ए । आणी पर उपगार, अरथ अनोपम बहु कहीआ ए ||२|| उत्तराध्ययन छत्रीस सूत्र, अरथ जे सांभलइ ए । धिन धिन ते नरनारि, रिद्धि-वृद्धि संपति मिल[इ] ए ।।३।। विनया(य)अध्ययन वखाणि, साधुविनय प्रकासीउ ए । बीजुं परीसहा(ह)अध्ययन, जगगुरुइ श्रीमुखि भासीउ ए ||४|| चउरंगी त्री जोइ, असंखयुं चउy सुणु ए । अकाममरण सकाम, अध्ययन पांचमुं ते भणुं ए ।।५।। खुडगी छठे होइ, एलका सातमु सही घणु ए । कपिल अनइ नेमीराय, द्रुमपति(त्त) एकादसमुं गणुए ।।६।। बहुश्रुत अध्ययन अपार, बहुश्रुतपूजा आचरु ए । हरिकेसीय अध्ययन, सुणतां भवसायरतरू ए ||७||
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