Book Title: Shrutsagar Ank 2014 03 037
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री भद्रावती तीर्थ : एक परिचय (कच्छनुं एक प्राचीन महातीर्थ ) मुनि विद्याविजयजी. रहे छे उल्लु गुल्शनमां, हतो ज्यां वास बुलबुलनो ; मयूरा ज्यां हता त्यां राग, गाये कागडाओ छे. कच्छ एक महापुरातन देश छे, ए वात समजाववा जेवी नथी रही. प्राचीन कालना आ कच्छ देशमां एवी नगरीओ होवानुं संभवित छे, के जेनी जाहोजलाली देश-देशान्तरोमां फैलायेली हशे अने तेमांये कच्छदेश हमेशांथी दरिया किनारे आवेलो देश होवाथी ए दरियाकांठानां शहेरो महाबंदरों तरीके व्यापारनां केन्द्रस्थानो तरीके प्रसिद्ध होय, ए पण स्वाभाविक छे. कच्छमां 'भद्रेश्वर' नामनुं एक गाम छे, के जे कच्छना मुद्रा तालुकामां आवेलुं छे. आ भद्रेश्वर एक प्राचीन जमानानी 'भद्रावती' नगरी. बीजा शब्दोमां कहीए तो चौदमी शताब्दीना प्रारंभमां थयेला महादानी जगडुशाहनी जे भद्रावतीनुं वर्णन जैन ग्रंथोमां आवे छे ते आ ज भद्रावती. F एक काळे जे नगरीनी भागोळमां ज दरियो उछाळा मारी रह्यो हशे, ज्यां हजारो वहाणोनी आव- जावथी अने लोकोना कोलाहलथी काने पड्युं संभळातुं नहि हशे, मोटा मोटां शिखरोथी आकाशने स्पर्श करी रहेलां मंदिरोना घंटानादो गाजी रह्या हशे, मोटी मोटी अट्टालिकाओथी सुशोभित असंख्य महेलो पोतानी सुंदरता बताववा स्पर्धा करी रह्या हशे अने ज्यां अनेक प्रकारना बागबगीचाओ जुदी जुदी जातनां पुष्पोनी सौरभो माइलो सुधी फेलावता हशे, ते भद्रावती नगरी आजे - I "रहे छे उल्लु गुल्शनमां, हतो ज्यां वास बुलबुलनो, मयूरा ज्यां हता त्यां राग, गाये कागडाओ छे." आ कथननी सत्यता शाबीत करी रही छे. परिवर्तनशील संसारमा एम थतुं ज आव्युं छे. भद्रावती नगरीनो इतिहास बहु जूनो बताववामां आवे छे. कहेवाय छे के महाभारतमां वर्णवेली यौवनाश्व राजानी नगरी, ते आ ज भद्रावती अने पांडवोए अश्वमेधनो घोडो पण अहीं ज बांध्यो हतो. For Private and Personal Use Only उपरनी वात तो बहु पौराणिक छे. पण जेने आपणे इतिहासकाळ कहीए, ए समयनां प्रमाण लइए तो पण भद्रावती एक प्राचीन नगरी हती, एम सिद्ध थाय छे.

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