Book Title: Shrutsagar Ank 2014 03 037
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२ श्रुतसागर - ३७ बृहत्कल्प भाष्यमां केवळज्ञानना पांच लक्षण दर्शाव्या छे. १. असहाय - इन्द्रिय अने मन निरपेक्ष. २. एक - ज्ञानना सर्व प्रकारोथी विलक्षण, श्रेष्ठ, ३. अनिवरति व्यापार - अविरहित उपयोगवाळो. ४. अनंत - अनंत ज्ञेयनो साक्षात्कार करवावाळु. ५. अविकल्पित - विकल्परहित, विभाग रहित. कर्मग्रंथ भा-१मां पण केवळज्ञानना पांच अर्थ बताव्या छे. चार घाति कर्म क्षय करनार उत्तम साधु ज केवळज्ञाननो स्पर्श करी शके छे. केवळज्ञानी अपरिमित क्षेत्र, अपरिमित भावोने जाणी शकवानुं सामर्थ्य धरावे छे प्रत्येक द्रव्यना अनंतानंत पर्यायोने साक्षात् करवानुं वैशिष्टय केवळज्ञानमां छे. आधुं ज्ञान धरावनार 'सर्वज्ञ' ज सर्वज्ञतानी मौलिक अवधारणा जैनोने ज अभ्युपगम छे. __ मति आदि चार ज्ञानो क्षयोपशमिक भावनां छे. अने केवळज्ञान क्षायिक छे. अने आवरण संपूर्ण क्षय थया पछी जे ज्ञान प्रगट थाय ते क्षायिक कहेवाय छे. अने आवरण उदयमां होवा छतां मंद उदय थवाथी कंईक अंशे ज्ञान प्रगट थाय अने कंईक अंशे आवरणनो उदय पण होय तो तेने क्षयोपशमभाव कहेवाय छे. तेनाथी थयेलां ज्ञानो क्षायोपशमिक कहेवाय छे. आवरणनो सर्वथा विनाश ते क्षय, अने तीव्र आवरणने मंद करीने भोगवq ते क्षयोपशम जाणवो. मति आदि चार ज्ञाननो एकी साथे एक जीवमां होई शके छे, परंतु केवळज्ञान थाय त्यारे प्रथमना चार ज्ञानो होतां नथी. आत्मानी ज्ञानशक्ति पांच प्रकारनी होवाथी तेने आवरण करनारं ज्ञानावरणीय कर्म पण पांच प्रकारनुं छे. अज्ञान : विपरीत ज्ञान, संशय विमोहयुक्त ज्ञान, जड़-चेतनमां भेद, रतिअरति करावनारुं ज्ञान अज्ञान कहेवाय छे. जेम सम्यग्दृष्टिनुं जाणपणुं ए ज्ञान छे, तेम मिथ्या दृष्टिनुं जाणपणुं ए अज्ञान कहेवाय छे. तेना त्रण प्रकार छे. (१) मति अज्ञान, (२) श्रुत अज्ञान, (३) विभंगज्ञान. मतिज्ञान, श्रुतज्ञान अने अवधिज्ञानना स्वरूपमां वैपरीत्य प्रगटता ते मतिअज्ञान, श्रुतअज्ञान, अने विभंगज्ञान रूपे जणाय छे. ज्यारे मनःपर्यवज्ञान अने केवळज्ञानमां मिथ्यात्वनो अभाव होवाथी अज्ञानजन्य भेद नथी. अज्ञानी मात्र व्यवहारिक जगतना पदार्थोने बराबर जाणे अने माने छे. आत्मा For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36