Book Title: Shrutsagar Ank 2014 03 037
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२ फरवरी - २०१४ उत्तराध्ययनसूत्रनो संक्षिप्त परिचय : प्रथम विनयश्रुत अध्ययनमां विनयधर्मनी वात छे. तो बीजा परीषह नामना अध्ययनमां संयमजीवनमां श्रमण-श्रमणी भगवंतो द्वारा सहन कराता परीषहनी वात वांचवा मळे छे. त्रीजा अध्ययनमां मोक्षनां साधन गणी शकाय एवा चार दुर्लभ अंगो 'चतुरंगीय'नी वात छे. चोथु अध्ययन असंस्कृत छे, जेमां जीवने अप्रमत्त रहेवानो उपदेश छे. पांचमुं अध्ययन अकाममरणीय छे, जेमां सद्गृहस्थोना लक्षणो अने सकाममरणनी प्राप्ति अने उपायनो उल्लेख छे. छटुं अध्ययन क्षुल्लकनिर्ग्रन्थीय छे. जेमां सत्यदृष्टिनो उपदेश अने अप्रमत्त रहेवानी प्रेरणानुं निरूपण करायेलं छे. सातमं अध्ययन उरभ्रीय नामनुं छे. जेमा बोकडाना दृष्टांत द्वारा संसार आसक्त जीवोनी दुर्दशानुं गार्गिक चित्रण करायुं छे तेगज आसक्तिनुं परिणाम, अने मानुषिक दैविक कामभोग अने एना परिणामनो उल्लेख छे. आठम अध्ययन कापिलीय छे. जेमां कशील जीवनना दुष्परिणामो तेमज लोभवृत्तिनुं स्वरूप तेमज निर्लिप्ततानो उपदेश आपवामां आव्यो छे. नवमुं अध्ययन नमिप्रव्रज्या छे. नमि राजर्षिनो जन्म, पूर्वजन्मस्मरण, अने एमनी दीक्षानुं वर्णन आ अध्यननमां मळे छे. दसमुं अध्ययन द्रुमपत्रक छे. जेमां वृक्षना पीळां पांदडाना दृष्टांतथी जीवननी क्षणभंगुरता बतावी छे. रोगोथी शरीरनो ध्वंस, अने इंद्रियबळनी क्रमिक हानिनी वात पण सुंदर रीते रजु करी छे. अगियारमुं अध्ययन बहुश्रुतपूजा छे. जेमां बहुश्रुत थवानी भूमिका, अबहुश्रुतनुं स्वरूप, विनीत अने अविनीतना लक्षणो पण आ अध्ययनना माध्यमे जाणी शकाय छे. बारमुं अध्ययन हरिकेशीय छे. जेमां हरिकेशबल मुनिनो परिचय छे. भावयज्ञ अने भावरनाननी वात आ अध्ययनना माध्यमे प्राप्त थाय छे. तेरमुं अध्ययन चित्तसंभूतीय छे. जेमां बे भाइओना छ जन्मोनी पूर्वकथानुं वर्णन छे. चौदमुं अध्ययन इक्षुकारीय छे. जेमां इक्षुकारनगरना छ जीवोनो परिचय आपवामां आव्यो छे. पंदरमुं अध्ययन सभिक्षु छे, जेमां साधुना गुणो अने आचारपरक जीवनवर्णन आ अध्ययनमां करवामां आव्युं छे. सोळमुं अध्ययन ब्रह्मचर्य छे, जेमां ब्रह्मचर्यना समाधिस्थानो विशे उल्लेख करवामां आवेल छे. तेमज दस समाधि स्थानोनुं पद्य रूपे निरूपण करवामां आव्युं छे. सत्तरमुं अध्ययन पापश्रमणीय छे. जेमां अष्टप्रवचनमाताना पालनमां कुशील आचरणथी पथभ्रष्ट थयेला साधुना स्वरूपनी विगतो वांचवा मळे छे. अढारमुं अध्ययन संजयीय छ, जेमां राजा संजयनु पूर्वभवनो वृतांत, विगेरे कथाओनो समावेश आ अध्ययन अंतर्गत करवामां आवेल छे. ओगणीसमुं अध्ययन मृगापुत्रीय छे. जेमां मृगापुत्रनो वैभव, तेमज For Private and Personal Use Only

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