Book Title: Shrutsagar 2019 06 Volume 06 Issue 01 Author(s): Hiren K Doshi Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर जून-२०१९ गुरुवाणी आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी सद्गतिनो उपाय जेठ वदि ३ना रोज प. पू. योगनिष्ठ आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म.सा. नी ९४मी पुण्यतिथि छे. आ प्रसंगे तेओश्री द्वारा प्रस्तुत सद्गति प्राप्तिना सुंदर आध्यात्मिक उपायनी वात अने प्रस्तुत करी छे. संवत् १९६८ वैशाख शुदि ११. शनिवार ता. २७-४-१२ उमेटा. ज्ञानरूप दीपवडे आत्मारूप घरमा रहेली ऋद्धिने देखवी जोइए । जे योगी होय छे ते आन्तरिक लक्ष्मीने प्राप्त करवा प्रयत्न करे छे। आत्मा प्रसन्न होय छे, त्यारे सद्गति थाय छे, अने आत्मा प्रति आत्मा अप्रसन्न होय छे त्यारे दुर्गति थाय छे । माटे आत्मावडे आत्मानुं ध्यान धरवू जोइए। सर्वतीर्थने पूजीने सर्वतीर्थरूप बननार आत्मा शरीरमा रहेलो छ । एवा आत्मारूप तीर्थनां दर्शन करवां जोइए। सत्व, रजो अने तमो गुणातीत आत्मानुं शुद्ध स्वरूप छ । आत्मारूप देव वस्तुतः सात धातुथी रहित छ। पोताना ज्ञानादि गुणमां रमण करनार आत्मा पोते देव बने छ । संतोषरूप अमृतमां मग्न रहेनार अने जेने शत्रु मित्र सम छे, एवा तथा शाता अने अशाताने समभावे वेदनार रागद्वेषथी पराङ्मख अने आत्मज्ञान वडे बाह्य सांसारिक क्लेशोने भूलनार एवा पूज्य महात्माओ मोक्ष प्राप्त करे छ। ___ शुद्धस्फटिकसमान सर्वज्ञगुण विभूषित अने परमात्मकलायुत एवा आत्माने मनुष्योए ध्याववो जोइए। आत्मतत्त्व- ज्ञान कर्या बाद होम वगेरे हिंसामय प्रवृत्तिने सुज्ञ मनुष्यो करता नथी। आत्मज्ञान ए परमतीर्थ छे, पण नदीनुं जल कंइ तीर्थ गणातुं नथी। नदीओना कांठे शुद्ध हवा होय छे तेथी एकान्त स्थानमा योगीओ त्यां आत्मध्यान धरे छे । अने परम स्थिरतानो अनुभव करे छे।। __व्यावहारिक धर्माचारोने आचरीने आत्माना गुणो प्रकटाववा माटे संतो प्रयत्न करे छ। आत्मज्ञान तेज परमशौच छे। ते विना अन्य पौद्गलिक वस्तुओ वस्तुतः शौचरूप गणाय नहि । कायामां रहेता आत्माने कायारहित ध्याववो अने आत्माना शुद्ध धर्ममां मनने स्थिर करी देवु। अहं निरञ्जनो देवः, सर्वलोकाग्रमाश्रितः। इति ध्यानं सदा ध्यायेदक्षयस्थानकारणं ॥ हुं निरंजन देव छु, सर्व लोकना अग्रभागे आश्रित छु एवं For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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