Book Title: Shrutsagar 2019 06 Volume 06 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir June-2019 SHRUTSAGAR ३. गुरुसेवा ४. जीवदया ५. बारव्रतनो स्वीकार ६. समकितनुं पालन ७. शेढुंजयगिरिनी यात्रा ८. शीयलव्रत पालन ९. शुद्ध भावे तप १०. प्रभुपूजा ११. संयमग्रहण १२. पंचमहाव्रत पालन १३. समिति पालन आदि १४. जिनाज्ञा पालन १५. पडिलेहण १६. आवश्यक विधि १७. उपसर्ग १८. काऊसग्ग १९. विकथा निंदा परिहार २०. स्वाध्याय २१. इंद्रियदमन २२. आगम अध्ययन २३. कषायजय २४. वैराग्य २५. आहारशुद्धि २६. अढार पापस्थान त्याग २७. गुरुपासेथी अभिग्रह-नियम ग्रहण २८. मन-वचन-कायाना अकुशल व्यापारोने सारी रीते रोकी गुप्ति पालन २९. चारित्रनो स्वीकार कर्या बाद हितमा प्रवर्तन स्वरूप सारणा-वारणादि (कर्तव्यने याद कराववा स्वरूप सारणा, अहितकारी प्रवृतिमाथी अटकाववा स्वरूप वारणा, संयमयोगमां स्खलना पामेलाने 'तमारा जेवाने आq करवू शोभतुं नथी' वगेरे वचनो कहेवा स्वरूप चोयणा अने दरेक स्खलन वखते आ ज वस्तु वारंवार कहेवा स्वरूप पडिचोयणा अथवा दंड-शिक्षा ते रूप पडिचोयणा आ बधाने सारी रीते, खेद के दुख लाग्या विना आनंदपूर्वक हुं क्यारे सहीश ते) उपरोक्त मनोरथो प्रस्तुत कृतिमां वर्णवेल छे। अंते चारित्रभावना पुष्टि माटे धन्नाशालिभद्र, कयवन्ना, अर्जुनमाली जेवा दृष्टांतोनो उल्लेख को छे। कर्ता परिचय : कृतिना अंते कर्तानाममा 'श्रीखेम कवि मुनीवर भणइ' एटलं ज उपलब्ध थाय छे। जैनगुर्जर कविओ भाग-१ (पृ.१९०-१९१) तथा गुजराती साहित्यकोश For Private and Personal Use Only

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