Book Title: Shrutsagar 2019 06 Volume 06 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 18 श्रुतसागर जून-२०१९ मध्यकाल भाग-१ (पेज नं-७५) मां प्राप्त थता विवरण प्रमाणे खरतरगच्छना जैन साधु जिनकुशलसूरिनी परंपरामां सोमध्वज गणि थया। सोमध्वज गणिना शिष्य खेमराज मुनि । छाजहड गोत्रना शाह लीलाना अने माता लीलादेवीना पुत्ररत्न खेमराज मुनि । आ कविए ई.१४६० मां जिनचंद्रसूरि पासे दीक्षा लीधानो अने ई.१५१३मां कोइ श्रावके एमनी पासे व्रत ग्रहण कर्यानो उल्लेख मळे छ। आ उपरथी कवि. ई.१५मी सदी उत्तरार्ध अने ई.१६मी सदी पूर्वार्ध दरम्यान होवानुं मानी शकाय छे। आ कविए ८१ कडीनी श्रावकाचार चौपाई' (रचना वि. १५४६), 'उपदेशसप्ततिका' (रचना ई.१४९१), २५ कडीनो '(फलवीं)पार्श्वनाथ रास, २३ कडीनी फागुबंधनी मंडपाचल (मांडवगढ)' चैत्य-परिपाटी, एकसोआठ पार्श्व स्तोत्र' तथा अन्य केटलांक स्तवनो अने सज्झायोनी रचना करी छ। प्रत परिचय : प्रस्तुत कृति संबंधी प्रत आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबामां उपलब्ध छ। हस्तप्रत क्रमांक-२९४६१ने आदर्श पाठ मानीने आ कृतिनुं संपादन करवामां आव्यु छे । आ प्रतनुं प्रतिलेखन वर्ष विक्रम सं.१८२२ मार्गशीर्ष मास, कृष्ण पक्ष, ८ तिथि, स्थळ मेडता, प्रतिलेखक सरूपचंद मथेन छ । प्रतमां कुल ३ पत्रो छे। प्रत्येक पत्रमा १२ पंक्तिओ अने प्रत्येक पंक्तिमा ३० थी ३१ अक्षरो छे। प्रतनी अवस्था पाणीथी विवर्ण थयेली छे, जेथी अक्षरो वांचवामां मुश्केली पडे छ । पाठांतर माटे अन्य प्रत क्रमांक-८७१२१नो आधार लीधो छ । संपादन कार्यमां प्रत क्रमांक२९४६१ ने 'क' प्रति अने अन्य प्रत क्रमांक-८७१२१ने 'ख' प्रतिनो संकेत आप्यो छ । बन्ने प्रतोमांथी मळता शुद्ध पाठने संपादनमां अने अन्य प्रतना पाठने पाठांतर (टिप्पण)मां स्थान आपी संपादन करेल छे। चारित्रमनोरथमाला श्रीआदिसर पाय' नमी, परिमल गुण विशाल। चरण मनोरथ फूलडां, गुंथिसु माल विशाल ... ॥१॥ ते दिन मुझनइ कदि हुस्यइ, पखि वरसनइ मास। श्रीजिनधर्म विधि करु, जेहथी पूरइ आस ॥२॥ ते०... १. पाय (ख), २. गुणि (क), ३. पयि (ख), For Private and Personal Use Only

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