Book Title: Shrutsagar 2019 06 Volume 06 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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SHRUTSAGAR
June-2019 तेम नथी। गुजराती उच्चारणो उपर विधविध असरो थइ छे अने हजी पण थती जाय छे । मळी आवता हस्तलिखित साहित्यमांनी जोडणीने शुद्ध उच्चारना प्रतिकरूपे स्वीकारी लेवी ए शक्य नथी, एटले शब्दोना संस्कृत-प्राकृत तथा वर्तमान गुजराती स्वरूपोनी वच्चेनां उच्चारणोना लिपिगत अंकोडा कोइ कोइ वार जूनी गुजरातीमांथी मली आवे, अने कोइ वार न पण मळी आवे; परन्तु बहुविध शब्दो उपर थएली देखाती असर उपरथी ए अंकोडा अने तेनो सामान्य नियम निश्चित करी शकाय छे।
(५) ए अने ओ गुजराती शब्दमां छूटा होय के व्यंजननी साथे मळेला होय पण तेनी साथे जो कोमळ अनुस्वार जोडायलो होय तो ते ए अने ओ विवृत बने छ।'
अ अने ओ उपर, तेनी पाछळ आवता अनुनासिक व्यंजननुं वजन (वास्तविक रीते के उच्चारणना दोषथी पण) जो पडतुं होय तो ते विवृत उच्चाराय छे।
उदाहरणोः
एंधाण, पहाँच-पाँच, वंगण, ढाँग, साँग, गँडी, फँट, साँप, पाँक, वेंग, (व्यंग), रहेंट-रेंट, गोंध, भेंस, इत्यादि।
वॅण, रॅणी, पॉणी, चॅन, मॉम, सॅन (सैन्य), जैन (जैन), नॅन, व्हॅन, जॅम, इत्यादि।
नयर-नइर-नेर, परन्तु नयन-नइन-नेन न उच्चारातां नॅन उच्चाराय छे, ते पाछळना अनुनासिकना वजननो प्रभाव छ । आनी विशेष स्पष्टता नीचेनां उदाहरणोथी थशे।
वगोवq-वगोवणी पण वगॉणु रो-रोदणुं पण रॉj जोवं-जॉर्म्यु दोहवू-दोहनी-दहॉणी-दॉ’णी ते-तेथी पण तेमनुं इत्यादि।
आ अनुगामी अनुनासिकनुं वजन पूर्वना ए-ओ उपर पडे छे तेथी, जे लेखको उच्चारणने वस्तुतः पारखी शकता नथी तेओ ज्यारे एवा शब्दो लखे छे त्यारे तेमना लेखनमांथी पण ए वजन परखाइ आवे छे। तेओ वेंण, रेणी, सेन, वगोंणु, नेन एम लखे छे: ए जोडणी खोटी छे, परन्तु अनुगामी अनुनासिक- जे वजन तेमनी उच्चारपरीक्षक इंद्रियने समजाय छे, तेज वजन ए रीते तेओ लिपिमां उतारे छे। आज * दी. बा. केशवलाल ध्रुवना ‘विवृतविधान’मां आ नियमनो समावेश करवामां आव्यो छे.
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