Book Title: Shrutsagar 2019 06 Volume 06 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 24 श्रुतसागर जून-२०१९ गुजराती बोलीमा विवृत अने संवृत ए-ओ चुनीलाल वर्धमान शाह (गतांक से आगे) तात्पर्य ए छे के अइ अने अउनां उच्चारणोने ओळखावनारां जे लिपिगत स्वरूपो जूनी गुजरातीमां मळे छे ते बहुविध छे अने ते तत्समयनां उच्चारणोनां वास्तविक प्रतिक हतां एम स्थापी शकातुं नथी। वळी जूदा जूदा प्रांतोमा एक ज शब्द जूदा जूदा प्रयत्नपूर्वक उच्चाराता होवा जोइए, तेथी ते शब्दो विविध स्वरूपमा लिपिबद्ध थया होय एम पण बनवा संभव छ । आ उच्चारणभेद तथा प्रयत्नभेदने परिणामे एक ज शब्दना ए-ओ संवृत अने विवृत स्वरूपे आजे पण उच्चाराता आपणे सांभळीए छीए। फारसी-ऊर्दू अय् कार-अव् कारने शुद्ध उच्चारमा स्थान होवा छतां लोकोनी गुजराती बोलीमां ते अइ कार-अउ कारने ज पामे छे अने प्राकृत-अपभ्रंशना अइ-अउनी पेठे तेनो पण व्यवहार थाय छे। प्राकृत-अपभ्रंशना अइ-अउ सोळमी सदीना अंत सुधी-१७०० नी साल सुधी अने केटलाक प्रांतोमा त्यारपछी पण लखवामां ह्रस्व इ तथा उकारने पाम्या छे, एटले त्यां सुधी ते संवृत हता । त्यारपछी ते विवृतत्वने पामतां तेनी उपर बे प्रकारनी असर थइ। जेमणे अइ अने अउ मां अ उपरनो प्रयत्न उच्चारमा जाळवी राख्यो तेओना अनुगामीओ बइसइ अने बइठा (बॅसें अने बॅठा) उच्चारता होवा जोईए। कोइ लखाणमां भले बयसइ के बयठा मळी आवे, परन्तु तेओनो उच्चार तो एकज हतो; जेओए अ उपरनो प्रयत्न गुमावी इ पर स्थाप्यो तेओए बइसइनु बिसि (उच्चारमां बेसे) अने बइठानुं बिठा (उच्चारमां बेठा), नउसारीनु नुसारी (उच्चारमां नोसारी) कयें । आजे पण ए उच्चारणभेद प्रांतभेदे अस्तित्वमां छे। राजस्थानी-हिंदीमां ए विवत उच्चार ऐकार-औकारथी दर्शावाय छे, मारवाडीमां अवळी मात्राथी दर्शाववानी पद्धति जूनां पुस्तकोमांथी मळी आवे छे अने गुजराती लेखनमां ए भेद रह्यो नथी, पण हवे कोइ कोइ ते अर्धचंद्राकार चिह्न के उलटावेली मात्राथी दर्शावे छे । राजस्थानी-हिंदीमां Macdonaldy उच्चारण मैकडोनल्ड लखाय छे, ते उपरथी आपणे जोइ शकीए छीए के तेमनी बे मात्रा विशिष्ट प्रसंगे विवृत उच्चारना साधनरूप बने छ। प्राकृत-अपभ्रंश भाषाना जे नियमो वैयाकरणीओए दर्शाव्या छे, ते नियमोने आधाररूपे स्वीकारीने आ विवृत-संवृत उच्चारणनी गुंचवणने सर्वथा उकेली शकाय For Private and Personal Use Only

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