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June-2019 श्रुतसेवा के क्षेत्र में आचार्य श्रीकैलाससागरसरि
ज्ञानमंदिर का योगदान
राहुल आर. त्रिवेदी (गतांक से आगे) संगणक विभाग
ज्ञानमंदिर में संगृहीत हस्तलिखित ग्रंथों तथा मुद्रित पुस्तकों की सूक्ष्मतम सूचनाओं को तर्कबद्ध व बहूपयोगी तरीके से सूचीबद्ध करना एक बहुत ही जटिल कार्य है, लेकिन ग्रंथ सरलता से उपलब्ध हो सके इसके लिए बहुद्देशीय कम्प्युटर विभाग कार्यरत है। वर्तमान समय में ग्रंथालय सेवा में कम्प्यूटर प्रोग्राम का महत्त्व अति आवश्यक एवं उपयोगी सिद्ध हो रहा है।
हस्तलिखित, मुद्रित ग्रंथ, पत्र-पत्रिकाओं तथा उनमें समाविष्ट कृतियों की विस्तृत सूची एवं विस्तृत सूचनाएँ कम्प्यूटराइज्ड की जा रही हैं। इस अवधारणा के साथ परम पूज्य आचार्य श्री अजयसागरसूरीश्वरजी म.सा. के मार्गदर्शन में एक विशिष्ट लाईब्रेरी प्रोग्राम बनाया गया है, जिसके माध्यम से हस्तप्रतों, मुद्रित पुस्तकों तथा पत्र-पत्रिकाओं में रही हुई छोटी-बड़ी महत्त्वपूर्ण सूचनाओं का संग्रह किया जा रहा है। ___ प्रायः सभी ग्रंथालयों में पुस्तकों के ऊपर छपे हुए नाम से पुस्तकें ढूँढकर वाचक को दी जाती है। परन्तु इस ज्ञानमंदिर में किसी भी पुस्तक, हस्तप्रत अथवा मैगजीन अंकों की प्रविष्टि की ऐसी अनूठी पद्धति अपनाई गई है, जिसके फलस्वरूप वाचकों तथा संशोधकों को उनके पास रही सीमित जानकारियों के आधार पर उनकी अपेक्षित अध्ययन सामग्री मिनटों या सेकेन्डों में प्राप्त हो जाती है।
आज इस ज्ञानमंदिर में निम्नलिखित परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है
१) समग्र उपलब्ध जैन साहित्य की विस्तृत सूचनाओं की बहूपयोगी व सुसंकलित कम्प्युटराइज्ड सूची तैयार करना। जिसमें तीन स्तंभो के आधार से सूचनाएँ संकलित की जाती है, उसमें क) प्रकाशन- प्रकाशन से सम्बन्धित सूचनाएँ जैसे आवृत्ति, जिल्द, पृष्ठ, पूर्णता आदि एवं उससे जुड़े प्रकाशक, ग्रंथमाला, संपादक आदि विद्वान, पेटांक, कृति, व कृतियों की रचना प्रशस्ति में उपलब्ध विद्वान आदि भरे जाते हैं। ख) हस्तप्रतहस्तप्रत से जुड़ी प्रतिलेखन पुष्पिका (विद्वान्,संवत्-मास-पक्ष-तिथि, शहर, पुष्पिका
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