Book Title: Shrutsagar 2019 06 Volume 06 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SHRUTSAGAR
June-2019 दीधो।” आवी ज रीते फागण वद ८ना दिवसे “प्रो. राममूर्ति सेन्डोनी मुलाकात लई धार्मिक विचारोनो उपदेश आप्यो” एवी नोंध पण मळे छ।
एमनो साहित्यप्रेम सर्वत्र देखाय छ। तेओ गुजराती साहित्यना वर्तमान प्रवाहो अने साक्षरोथी परिचित हता। गुजराती साहित्यना संशोधक श्री के. ह. ध्रुव विशे एमणे लखेला अप्रगट स्तुतिकाव्यमां आ ज्ञानी अने ध्यानी योगीराजने साहित्यसंशोधक प्रत्ये केटलो आदर छे, ते प्रगट थाय छे। तेओ कहे छे :
“मिलनसार स्वभावे सारा, साक्षरवर्गमा प्यारा, उत्तम विद्याना आधारा, सद्गणना अवतारा। धन्य धन्य शुभ मात तात ने, धन्य गुर्जर अवतारी, मोटा मनना शुभ परमार्थी, तव जीवन बलिहारी। अमर कर्यु निज नाम जगतमां, गुणकारी शुभकारी, 'बुद्धिसागर' मंगल पामो, गुणगणना भंडारी।"
आवी ज रीते साणंदथी आचार्यश्री बुद्धिसागरसूरिजीए मुनिश्री जिनविजयजीने मैत्रीने बिरदावतुं अने ज्ञानवृद्धिनी अभिलाषा प्रगट करतुं आठ कडी- काव्य लख्यु छ।
आ रोजनीशीनो केटलोक भाग ‘कर्मयोग, ‘भजनसंग्रह, जैनगीता' अने 'सुखसागर गुरुगीता' नामे एमना ग्रंथोमां प्रगट थयो छे। आथी अहीं अप्रगट एवा गद्य अने पद्य भागने जोवानो उपक्रम राख्यो छे । आमां साची भक्तिने बतावता एमना एक अप्रगट काव्यमां तेओ हरिनो मारग शूरानो छे' एम कहेता जणाय छे । तेओ कहे छे के, मात्र मुखेथी भक्त कहेवडाववाथी काम पती जतुं नथी । एने माटे तो प्रयत्न अने निष्काम भावना जरूरी छ । तेओ आवा कृतक भक्तोने पूछे छे :
“कहे मुखथी तमारो छु, तमोने सौ समर्पण छ। विचारी आप उत्तरने, अमारी शी करी सेवा? त्हने लक्ष्मी घणी व्हाली, तने कीर्ति घणी व्हाली, कहे छे भक्तिनो भूख्यो, अमारी शी करी सेवा?"
आम कहीने विवेक विना वित्त खरचवानी, असत्य अने परिग्रहनी तेम ज संसारना प्रवाहमां गतानुगतिक रीते तणावानी सामान्य जनोनी मनोवृत्तिनी वात करीने भारपूर्वक कहे छे -
(क्रमशः)
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36