Book Title: Shrutsagar 2019 06 Volume 06 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
12
श्रुतसागर
जून-२०१९ कवि श्रीसार कृत प्रवचनपरीक्षा षट्त्रिंशिका
गणि सुयशचंद्रविजयजी प्रवचन एटले सिद्धांत, तेनी परीक्षा एटले प्रवचन परीक्षा। विशेषे कहिये तो सिद्धांत केवो होय? तेनुं स्वरूप शुं होय? तेने सम्यक् कई रीते कहेवाय? तेनी वर्णना करतो ग्रंथ ते ज प्रवचन परीक्षा । प्रस्तुत कृतिमां कृतिकारश्रीए मुख्यतया अहिंसा धर्मना सिद्धांतने सूक्ष्मताथी वर्णव्यो छे। तो साथे-साथे सम्यक्त्व, मिथ्यात्व तथा तेना अवांतर भेदोने समजाववानो पण कविए अहीं सुंदर प्रयत्न कर्यो छे । काव्यना शब्दो एकंदरे सरळ छ । विशेषमां “छूटिस्यइ, लहिस्यइ” जेवा शब्द प्रयोगोमां कोई प्रांतिय बोलीनी छांट जोवा मळे छ । कवि श्रीसार खरतरगच्छना प्रसिद्ध विद्वान छे तेमणे आ सिवाय पण अन्य नानी मोटी घणी गुर्जर काव्य रचनाओ करी छ। प्रस्तुत कृति जेवी ज प्रवाहितता तेमना अन्य सर्जनोमां जोवा मळे छ।
प्रान्ते प्रस्तुत कृतिनी हस्तप्रतनी फोटोकॉपी आपवा बदल खंभात-अमरशाळा ज्ञानभंडारना व्यवस्थापकोनो तथा शेठश्री मणीलाल पीतांबरदास हस्तलिखित शास्त्रसंग्रहना ट्रस्टीगणनो खूब खूब आभार ।
॥ नमो वीतरागाय ॥ [राग]मालवी गउडउ जाति ॥ साचइ मनइं जिनधर्म सेवउ, इम कहइ अणगार रे, सिद्धंत सूत्र विचारि जोइज्यो, अछइ अरथ अपार रे
॥१॥ साचइ... धरमनी वातई मूढ प्राणी, कांइ करउ चुपचाप रे, धरम रउ ए मरम साचउ, जीवहिंसा पाप रे
॥२॥ साचइ... धरमनइं अरथइ जीवहिंसा, धरइ नव नव रंगरे, ते घणा जामण मरण लहिस्यइ, आखि' आचारंग रे ॥३॥ साचइ... हिंसा थकी किम धरम थायइ, जोइ उपदेस-माल रे, कपटनइ मारग सहू राचइ, साचनउ नहीं काल रे
॥४॥ साचइ... त्रस अनइ थावर तणी निश्रा, अछइ जीव अनेक रे, इक जीव हिंस्या(सा) सह हिंस्या(सा), धरउ चित्ति विवेक रे ॥५॥ साचइ...
१. जन्म. २. बोले,
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36