Book Title: Shrutsagar 2019 06 Volume 06 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर जून-२०१९ पालनपुर, सिद्धपुर, ऊंझा, महेसाणा, भोयणी, वीरमगाम, गोधावी, कलोल, पानसर अने पेथापुर जेवां जाणीतां गामो उपरांत अन्य गामोनो पण समावेश थतो हतो, परंतु एक वर्षमां करेला आटला विहार दरमियान एमनी वांचनप्रवृत्ति तो सतत अने तीव्र वेगे चालु रही हती। पोते वांचेलां पुस्तकोनी नोंध तेओ रोजनीशीमां करता जाय छे। ___आ एक ज वर्षमा एमणे ‘समयप्राभृत, शुभचंद्र आचार्यकृत 'ज्ञानार्णवसारोद्धार' (बीजी वखत), राजेन्द्राभिधानकोश' (भा। १), 'ज्ञानचक्र' (भा। ८), 'महाबलमलयासुंदरी, संस्कृत तिलकमंजरी, चंद्रप्रभु, 'विक्रमोर्वशीयम्' (भाषांतर), 'विह्यदूरत्नमाला' अने जैन दृष्टिए योग' जेवां पुस्तको वांच्यां; ज्यारे आचार्य आनंदशंकर ध्रुव, ‘धर्मवर्णन, मननपूर्वक वांच्यु एम कहे छे, तो माणसाना दरबार पासेथी लीधेलु 'रत्नमाल' पुस्तक वांचीने पाछु आप्यानी नोंध मळे छे। ए ज रीते साणंदनी सरकारी लाइब्रेरीमाथी लीधेलां पुस्तको वांचीने पाछां आप्यां, तेनी यादी पण मळे छ । आ ग्रंथो उपरांत 'गुजरातनो अर्वाचीन इतिहास, कणबी-क्षत्रिय इतिहास' अने ‘पद्ममहापुराण' जेवा ग्रंथो वांच्या हता, 'जीवनशक्तिनुं बंधारण, स्वामी रामतीर्थनो सदुपदेश' (भाग ७), 'गुजरात सर्वसंग्रह, 'स्वदेश, 'हिंदनी उद्योगस्थिति, 'भारत लोककथा, 'दरियापारना देशोनी वातो' जेवां पुस्तको पण वांच्या हतां, 'अध्यात्मोपनिषद'न चोथी वार मनन कयें, तो 'जोन ओफ आर्क, 'कुमुदिनी, 'आंख की कीरकीरी', 'शांतिकुटिर, 'सुभाषितमुक्तावलि' तेम ज नर्मकविता' जेवा ग्रंथो पण वांच्या हता। वळी, वि. सं. १९७१नी वैशाख सुद पांचमना रोज श्री मोतीचंद गिरधरलाल कापडियाए आनंदघननां पदो पर लखेली प्रस्तावना अने उपोद्धात वांच्यानी नोंध पण मळे छे। आ वर्ष दरमियान एमनी लेखनप्रवृत्ति चालती रही हती। 'कर्मयोग' नामनो एमनो ग्रंथ छपातो हतो ए पण नोंध्यु छ । विहार अने व्याख्यानो चालतां हतां, एनी साथोसाथ आटली बधी ज्ञानप्रवृत्ति चालु राखवी ते विरल ज कहेवाय । क्यारेक कोई जिज्ञासुनेय अभ्यासमां सहायभूत थता हता। संवत १९७१नी मागशर वद अमासे शा. मोहनलाल जेशिंगभाईने पांचमा कर्मग्रंथनी सित्तेर गाथा सुधी अभ्यास कराव्यानी नोंध पण मळे छ । सं. १९७१ना पोष सुदि छठनी नोंधमां तेओ लखे छे – ____ “सांजना समये कडी प्रांतना सुबासाहेब रा. गोविंदजीभाई हाथीभाई दर्शनार्थे आव्या। तेमने प्रजानी सेवा करवी, साधुओनो उपदेश श्रवण करवो, प्रजाजनोनां दुःखो तरफ लक्ष्य देवू, लाइब्रेरीओ, बोर्डिंगो विशेष प्रमाणमां व्यवस्थापूर्वक उघाडवा माटे उपदेश दीधो । गायकवाडी राज्यमां साधुओने माटे संस्कृत पाठशाळा उघाडवा उपदेश For Private and Personal Use Only

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