Book Title: Shrutsagar 2017 08 Volume 04 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुक्रम 1. संपादकीय रामप्रकाश झा 2. कक्कावलि 3. Awakening 4. नवांगीपूजा आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी Acharya Padmasagarsuri गणि सुयशचंद्रविजयजी डॉ. कृपाशंकर शर्मा मुनि श्री न्यायविजयजी 5. पुस्तक समीक्षा 6. गुरुपरंपरा 7. समाचारसार तुझने पूछू हे सखी, मूरख केम जीवंत। पांच-सात भेगा मली धमोधम करंत ॥ हस्तप्रत क्र. ८६०६८ हे सखी, मैं तुमसे पूछती हूँ कि मूर्ख का जीवन किस प्रकार बीतता है? मूर्ख व्यक्ति इकट्ठे होकर कोलाहल और धमाल करके अपना जीवन व्यतीत करते हैं। तुझने पूछू हे सखी, पंडित केम जीवंत। पांच-सात मिली सांमटा, ग्यानगोष्ठी करंत ॥ हस्तप्रत क्र. ८६०६८ हे सखी, पंडित का जीवन किस प्रकार बीतता है? ज्ञानी व्यक्ति इकट्ठे - होकर ज्ञानगोष्ठी करके अपना जीवन सार्थक करते हैं। * प्राप्तिस्थान आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर तीन बंगला, टोलकनगर, होटल हेरीटेज़ की गली में डॉ. प्रणव नाणावटी क्लीनिक के पास, पालडी अहमदाबाद - ३८०००७, फोन नं. (०७९) २६५८२३५५ For Private and Personal Use Only

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