Book Title: Shrutsagar 2017 08 Volume 04 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवांगीपूजा गणि सुयशचंद्रविजयजी नवांगी पूजा परिचय जिनेश्वर भगवाननी पूजा मुख्यतया बे प्रकारे वर्णवाइ छे (१) द्रव्यपूजा, (२) भावपूजा तेमां प्रथम द्रव्यपूजा एटले द्रव्यथी थती पूजा जेमके फळ, फूलादि वडे कराती पूजा, ज्यारे बीजी भाव पूजा एटले प्रभुना गुणोनी स्तवनारूप पूजा. आ पूजामां प्रभुजीनी स्तुति, स्तोत्रादिनो समावेश करी शकाय. आपणे त्यां आ बन्ने प्रकारनी पूजाओ परापूर्वथी चालती आवी छे. जो के छल्ला १००० वर्षथी आपणे द्रव्यपूजाने विशेष प्रकारे करीए छीए जेमके स्नात्रपूजा, पंचकल्याणक पूजा, पांचतीर्थनी पूजा विगेरे. आमांनी घणी पूजाना नामथी आपणे परिचित पण छीए तेथी तेनुं अहीं पुनरावर्तन न करतां प्रभुना नव अंगनी प्रस्तुत पूजा अंगे अमे वाचकोनुं ध्यान दोरीशुं. __ प्रस्तुत कृति तपागच्छीय लघुपोशाळना कवि उदयसूरिजीनी रचना छे. तेमणे मुनि(?) राजसोमनी आज्ञामां रही वि.सं. १८९६मां सुरत(नवापुर)ना श्रीशांतिनाथ प्रभुना प्रासादमां कृति रची छे. कृतिनी लेखनपुष्पिका जोता कर्ताए पोते ज पूजानी आदर्श प्रत(नकल) उतारी होय तेम लागे छे. परंतु कृति साद्यंत तपासतां, कृतिमां प्रवेशेली भाषाकीय अशुद्धि जोतां कृतिकारना प्रतालेखन अंगे शंका थाय छे. बीजो एवो पण विकल्प स्फूरे छे के तत्कालीन बोलीनु ज जाणे काव्यमां प्रतिबिंब पड्यु हशे अने तेथी 'ए'कार ने बदले 'ऐ'कारनो प्रयोग, वधु पडतां अनुस्वारोनो प्रयोग, ‘अनेनी जग्याए 'ने'नो प्रयोग विगेरे भाषाकीय फेरफार प्रतालेखनमां उमेराया हशे. जो के वाचकोनी सरळता माटे अमे कृति आवा घणां स्थानोथी सुधारी अहीं रजू करी छे ते वाचको ध्यानमां ले. कृति परिचय __ शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान तेमज आदिनाथ प्रभुनु स्मरण करवा पूर्वक कविए काव्यनी शरूआत करी छे. कोई प्रभुने आदिनाथना नामथी तो कोई ब्रह्माना नामे, कोइ विष्णुना नामे, तो कोइ अल्लाहना नामे पूजे छे, तेवी घणी वातोनी विगते वर्णना कविए पीठिकाना शरूआतना पद्योमां करी छे. ज्यारे पछीना पद्योमां आवा भगवंतनी पूजाथी मळतां पांच ‘प'कार तथा पांच 'उ'कारनी वात कवि वडे लखाइ छे. जीवाभिगमसूत्रना कथन अनुसार देवो आसो तेमज चैत्र मासनी ओळीमां नंदीश्वर द्वीपे जई शाश्वत चैत्योमां प्रभुनो अठ्ठाइ महोत्सव करे छे. अने तेमां स्नानादि महोत्सव For Private and Personal Use Only

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