Book Title: Shrutsagar 2017 08 Volume 04 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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August-2017
SHRUTSAGAR वडे प्रभुनी भक्ति करे छे. तेम श्रावकोए पण आ बन्ने ओळीमां सुदि ८ ना जमीन साफ-सूफ करी, जलादिकना छंटकाव वडे पवित्र करी, निगडामां ऋषभदेव प्रभुनु बिंब पधरावी, आठ स्मात्रीओने भेगा करी नव प्रकारना उत्तम द्रव्य वडे प्रभुना नव अंगनी पूजा करवी जोइए ते बधी वातो कविए प्रथम ढालमां वर्णवी छे.
प्रभु ऋषभदेवना राज्याभिषेक अवसरे युगलियाओ वडे करायेलां विनयना अनुकरण रूपे प्रारंभायेली चरणांगुष्ठनी प्रथम पूजामां कविए प्रथम कुलकर विमलवाहनथी मांडी राजा ऋषभना लग्न, राज्याभिषेकादिनी तेमज ते वखतनी 'ह'कारादि दंडनीतिनी प्रासंगिक वर्णना करी छे. अने बीजी पूजामां कविए संयम लइ कर्म निर्जरार्थे देश-विदेशमा विचरी उपसर्गोने सहन करतां प्रभु आदिनाथनी स्तवना करी छे. आ ढाळमां कविए वर्णवेलुं प्रभुनी ध्यानावस्थानुं तेमज ढींचणनी पूजा करतां प्राप्त थती सुख-समृद्धिनुं वर्णन वांचवा योग्य छे. त्यारपछीनी लीजी पूजामां कविए जमणा तथा डाबा हाथनां मीठां संवादनी गुंथणी करी छे. ज्यारे बन्ने हाथ पोतपोतानी वडाइ दर्शावे छे, त्यारे बन्ने संवादीओनां सायुज्यथी थती कार्यसिद्धिओ दर्शावी कविए बन्ने हाथना माहात्म्यने जाळव्यु छे. साथे-साथे तेना उपयोगथी कराती पूजा द्वारा प्राप्त थतां इह-पारलौकिक फळनी पण ढूंकमां वर्णना रजू करी छे.
भुजद्वयनी पूजा रजू करती त्यारपछीनी ढाळमां कवि कहे छे के जे भुजाथी प्रभु भवसागर तर्या ते ज भुजा मान(अभिमान)- पण स्थान छे अने ज्यां मान नथी त्यां ज आर्हन्त्य छे, तेनु ज जगतमां मान छे. विशेषमां कविए ते माटे दीप(प्रकाश) अने अंधकारना दृष्टांते करी पोतानी वातनी पुष्टि करी छे. प्रान्ते पूजाना फळनी प्राप्तिनी विगत द्वारा कवि ढाळनुं समापन करे छे पछीनी ढाळनी शरूआत प्रभुना केशकलाप तेमज मस्तक पर रहेली शिखानां वर्णनथी थाय छे. हठयोग संबंधी शास्त्रना मते ज्यारे दशम द्वारे एटले के मस्तक पर तालु स्थाने जो जीव वास करे, तो ते जीव जगतनो स्वामी बने छे अने तेने जगतनी नाना-मोटी बधी ज बाबतो प्रत्यक्ष होय छे. ते भावने वर्णवतां आ ढाळनां पद्यो विशेषे नोंधनीय छे.
त्यार पछीनी छठ्ठी ढाळमां कविए सारा भाग्यथी प्रभुसेवा पाम्यानी विधाताना छट्ठीना लेखनी जेम प्रभुजीने करातां लाल टीकानी, चंदन एलची आदि सुगंधी द्रव्योथी प्रभुना कपाळने शोभाव्यानी, त्रण रेखाना प्रतिक रूपे केसरथी त्रण लीटी प्रभुभाले अंकन कर्यानी विगेरे घणी बाबतो आ ढाळमां आलेखी छे. जो के आ ढाळना छेल्लां ३ पद्यो स्पष्ट होवां छतां तेनो संबंध अमे अहीं उतारी शक्यां नथी. ते
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