Book Title: Shrutsagar 2017 08 Volume 04 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 23 SHRUTSAGAR August-2017 बिहुं धाई उपडता बोबला रे, विचे लाल बीटडली सोभलारे; नस लीली लीटडली लोभला जी रे ॥३॥ पूजो० प्रभुने श्रीवत्स सुंदर हृदयामां, प्रभु सचर अचर छे सदयामां; __अरिहंतअतिसै उदयमां जी रे ॥४॥ पूजो० उर विस्तीर्ण नगर कपाट छे रे, जेहने खावा पीवा धन खाट छे रे; जेहने ठकुराइना घणा ठाठ छे जी रे ॥५॥ पूजो० उरे वसिया ते अंतरजामि(मी) छे रे, नाथ आदि जिणंद वड नामि(मी) छे रे; इला आदि जुगादि ए स्वामि(मी) छे जी रे ॥६।। पूजो० खरं हृदय छे खासा तन्नमा रे, मन होय तो मिलिये वन्नमांरे; दिल वसीया सो वार ते दिन्नमां जी रे ।।७।। पूजो० उरे शास्त्र पूरव मित पाठवे रे, उरे सूर रणे अरिहा ठवे रे; __ प्रभुना उरनी ओपम कुंण आठवे जी रे ॥८॥ पूजो० उर-ल्याई प्रभु जो पूजीये रे, कोइ दिन हृदये किम मुंझीये रे; पूजी सघला काज सुलूझीये' जी रे ॥९।। पूजो० प्रभु पूज्याथी प्रभुता धारीये रे, घनघाति विरुद्ध अघ वारीये रे; उदयसूरे प्रभुने संभारीये जी रे ॥१०॥ पूजो० जिणस्स णाणीजगणायगस्स, जगप्पईवस्स य बोहगस्स। बुद्धस्स मुत्तस्सय वच्छलस्स, भिसिंचयामो उसहप्पहूस्स सुरपतैनपितं प्रभुपत्कजं, यदि युगेश युगादीश जन्मितः । यदि च राज्यपदे प्रभु संस्थितः, नतसुरेन्द्रनरेन्द्रपदाम्बुजम् ॥२॥ (इम कही कलश ढालवो) ॐ ह्रीं श्रीं परमपरमात्मने अनन्तानन्तज्ञानशक्तये जन्म-जरा-मृत्युनिवारणाय [श्रीमज्जिनेन्द्राय] जलं चन्दनं' अक्षतं फल फूलं धूपं दीपं नैवेद्यं यजामहे स्वाहा ॥ ॥अथ नवमी पूजा॥ ॥हा॥ नाभिनी पूजा नवमि, नाभि नवमुं अंग; नाभिनंदन पूजीये, नाभि जीव तरंग ना भीति भय सप्तनी, नाभिथी सुखवास; नाभिनंदन पूजीये, केसर कपूर बरास 1. पलंग, 2. विचारी शके, 3. सलटाववा. ॥१॥ ॥१॥ ॥२॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36